Udaipur News: इंसानों में कोरोना, पशुओं में लंपी और अब फसलों में इस कीट का खतरा, ऐसे पहुंचा रहे नुकसान
राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार जिले में सभी ग्राम पंचायत स्तर पर फॉल आर्मी वर्म प्रकोप पर प्रशिक्षणों को आयोजन समय-समय किया जा रहा है.
Udaipur News: इंसानों में कोरोना का हमला हुआ, फिर गायों पर लंपी बीमारी और अब फसलों पर एक कीट ने हमला बोल दिया है. इस कीट का नाम है फाल आर्मी वर्म, नाम से ही समझ सकते हैं कि आर्मी की ज्यादा तादात के अनुसार यह किट भी करोड़ों की तादात के हमला करता है और लगतार बढ़ता जाता है. ऐसा ही उदयपुर और इस जुड़े संभाग के अन्य जिलों में हालात हो गए हैं.
कीट के हमले की सूचना मिलते ही प्रसाशन अलर्ट हुआ और खेतों में पहुंचे हैं और किसानों को फसल बचाने के उपाय बताए जा रहे हैं. उदयपुर जिला कलेक्टर तारांचद मीणा के निर्देशानुसार कृषि विभाग की ओर से जिले में मक्का फसल में फाल आर्मी कीट का प्रकोप होने की संभावना को देखते हुए कीट की पहचान एवं नियंत्रण के संबंध में उचित परामर्श जारी किए गए है.
बारीश में गेप आया तो बढ़ गया प्रकोप
डिप्टी कृषि विस्तार माधव सिंह चंपावत ने बताया कि विभाग ने फसल में फॉल आर्मी कीट प्रबन्धन के संबंध में परामर्श दिया है ताकि समय रहते किसान अपनी फसलों को इन कीटों के प्रकोप से बचा सके. उन्होंने बताया कि जिले में अंतिम 1 महीने से लगातार वर्षा होने से कीट का नियंत्रण खुद हो रहा था, लेकिन एक हफ्ते से बारिश कम होने से कीट का प्रकोप उसकी अनुकूलतम दशा मिलने से बढ़ रहा है. अगर लगातार बारिस होती है तो कीट नियंत्रित होता रहता है.
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार जिले में सभी ग्राम पंचायत स्तर पर फॉल आर्मी वर्म प्रकोप पर प्रशिक्षणों को आयोजन समय-समय किया जा रहा है. सभी ग्राम पंचायत स्तर पर अगले तीन दिनों में कृषक गोष्ठियों का आयोजन कर कृषकों को जागरूक किया जायेगा. राज्य सरकार 5000 हैक्टर में मक्का की फसल में फॉल आमी वर्म के नियंत्रण हेतु रसायन की स्वीकृति प्राप्त हुई है. जिसके लिए प्रति हैक्टर 500 रुपये कीटनाशी हेतु प्रावधान है. अनुदान हेतु कृषक राज किसान साथी पर पंजीकृत आदान विक्रेता से कीटनाशी खरीद कर अनुदान प्राप्त कर सकेगा.
ऐसा होता है फाल आर्मी
उपनिदेशक सिंह ने बताया कि अंडों से निकली प्रथम अवस्था की लार्वा का रंग हल्का पीला या सफेद होता है सिर काले रंग का होता है. जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता इसके सिर पर उलटी (वाई) आकार का निशान होता है. इस कीट की सूण्डी मक्का के तनों में छेद करके अन्दर घुस जाती है. पत्तियों पर छिद्र हो जाते है. मक्का के तने की कोमल पत्तियों को खाते हुऐ बहुत सारा विष्ठा (मल) पत्तियों पर छोड देती है. साथ ही इस कीट का प्रकोप ज्यादा होने पर सुण्डियां भुट्टों को छेदकर दानों को भी नुकसान पहुंचाती है. इसकी पसंदीदा फसल मक्का है.
ऐसे होता है नियंत्रण व बचाव
उन्होंने बताया कीट से नियंत्रित करने के लिए हाथों से लार्वा चून कर और अंडों को केरोसीन मिश्रित पानी में डूबो कर नष्ट कर सकते हैं. फॉल आमी वर्म आक्रमण के बाद प्रभावित मक्का के पोधों के पोटे या गाला में सूखी रेत का प्रयोग करना चाहिए.15 फीरोमन ट्रेप प्रति एकड के हिसाब से लगा कर नियंत्रण किया जा सकता है. एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम, 5 मिली को छिड़काव करके भी नियंत्रण किया जा सकता है. इसके अलावा भी कई उपाय है.
बारिश लगातार नहीं हुई तो 50 प्रतिशत नुकसान
उदयपुर में बारिश का करीब 6 दिन का गेप हो गया इसलिए कीट का प्रकोप बढ़ा है. उदयपुर जिले की बात करे तो यहां 1.64 लाख हैक्टेयर में बुआई हुई है. अगर लगातार 3 दिन बारिश नहीं हुई तो फसलों को 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान होगा. यहीं नहीं अगर इतना नुकसान हुआ तो धान के भाव भी बढेंगे.