Rajasthan News: अब सिर्फ 15 महीने में बन सकेंगे पायलट, राजस्थान में यहां खुलने जा रही पहली विशेष एयरक्राफ्ट ट्रेनिंग एकेडमी
यहां अमेरिका और यूरोप से सिंगल, डबल इंजन के आठ से दस एयरक्राफ्ट आएंगे. तीन से चार माह तक प्लेन की 400 घंटे की थ्योरी होगी. इसके बाद 200 घंटे प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
Kishangarh Aircraft Training Academy: पायलट बनने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी है. देश के युवाओं को पायलट बनने के लिए अब तीन से चार साल का लंबा इंतजार नहीं करना होगा. जल्द ही एक ऐसी एयरक्राफ्ट ट्रेनिंग एकेडमी बनेगी जहां महज 15 माह की ट्रेनिंग लेकर ही पायलट बन सकेंगे. देश की ऐसी पहली विशेष ट्रेनिंग एकेडमी राजस्थान में किशनगढ़ एयरपोर्ट पर बनेगी. अब तक इस ट्रेनिंग में 36 से 48 माह का वक्त लग रहा था, लेकिन अब बेहद कम समय में पायलट बन सकेंगे.
विशेष वर्ग को मिलेगी छूट
किशनगढ़ एयरपोर्ट पर बनने वाली ट्रेनिंग एकेडमी में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को कई तरह की छूट दी जाएगी. यहां फीस में 5 लाख रुपए की बचत होगी. स्टूडेंट्स को 50 लाख की बजाए किश्तों में 45 लाख रुपए ही देने होंगे. यहां प्रवेश लेने वाले एससी, एसटी वर्ग के स्टूडेंट् और गर्ल्स को फीस में रियायत दी जाएगी. ट्रेनिंग के लिए फिजिक्स और मैथ्स में 12वीं पास स्टूडेंट आवेदन कर सकेंगे. वहीं अगर कोई स्टूडेंट आर्ट्स या फिर कॉमर्स से है तो वह नेशनल स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से फिजिक्स और मैथ्स पास कर एडमिशन ले सकेगा.
जून 2023 से शुरु होगी एकेडमी
दिल्ली की अव्यना एविएशन एकेडमी ने किशनगढ़ एयरपोर्ट के साथ 25 साल का एमओयू किया है. माना जा रहा है कि जून 2023 से एकेडमी शुरु हो जाएगी. पहले बैच में 130 से 150 बच्चों को प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए 8 से 10 एयरक्राफ्ट मंगवाए जाएंगे. सिंगल इंजन प्लेन अमेरिका की कंपनी और मल्टी इंजन प्लेन यूरोप की कपंनी भेजेगी. ये ऐसे प्लेन होंगे जिनके इंजन बंद होने पर भी इन्हें ग्लेड करके आराम से नीचे उतारा जा सकता है. एकेडमी खोलने के पीछे मकसद भारत को वैश्विक उड़ान प्रशिक्षण केंद्र बनाना और विदेशों में भारतीय कैंडिडेंट्स के पलायन को रोकना है. एमओयू के दौरान नागरिक उड्डयन के प्रदीप सिंह खरोला, एकेडमी की एमडी भादुरी भारद्वाज व एयरपोर्ट निदेशक बीएस मीणा मौजूद रहे.
एयरपोर्ट को होगी 50 लाख आय
किशनगढ़ एयरपोर्ट से पहले रायबरेली के फुरस्त गंज स्थित इंद्रा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी, गोंदिया स्थित एनएफआइटी, रेड बर्ड एविएशन व चाईमस एकेडमी द्वारा कोर्स दो से तीन साल में पूरा करवाया जाता है. जिसकी फीस 50 लाख है. अधिक वर्ष लगने की वजह से विद्यार्थी विदेशों की रूख करते थे, जिसके लिए उन्हें करीब एक करोड़ फीस देनी पड़ती थी. यहां 45 लाख की फीस भी किश्तों में देने से स्टूडेंट्स को आसानी होगी. पहली किश्त 15 लाख और शेष तीन किश्तें 10-10 लाख के हिसाब से जमा करवा सकेंगे. एकेडमी शुरु होने के साथ ही किशनगढ़ एयरपोर्ट को राजस्व का लाभ भी मिलेगा. एकेडमी इस एयरपोर्ट को प्रति घंटे के हिसाब से ग्यारह सौ- ग्यारह सौ रुपए का भुगतान करेगी. ऐसे में एयरपोर्ट को हर साल 50 लाख रुपए की आय होगी.
स्टूडेंट्स के लिए बनेंगे हॉस्टल कम रेजीडेंशल कॉम्पलेक्स
प्लेन उड़ाने की 400 घंटे की थ्योरी तीन से चार महीने होगी. इसके बाद स्टूडेंटस को 200 घंटे की फ्लाइंग की ट्रेनिंग दी जाएगी. स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए हॉस्टल कम रेजीडेंशल कॉम्पलेक्स बनवाए जाएंगे. प्लेन रखने व उनकी मरम्मत के लिए हेंगर भी एयरपोर्ट पर ही बनाए जाएंगे. ट्रेनिंग एयरपोर्ट के वर्तमान रनवे पर ही होगी. यह ट्रेनिंग तय शिड्यूल फ्लाइट के अतिरिक्त समय में होगी.
इन शहरों में नहीं दिखा रुझान
एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने किशनगढ़ एयरपोर्ट के अलावा कूचबिहार, देवघर, झारसुगुडा, तेजू, मेरठ, कडपा, हुबली, भावनगर और सेलम हवाई अड्डे पर नई फ्लाइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने का निर्णय किया था. लेकिन मेरठ, तेजू, भावनगर व हुबली में किसी भी एकेडमी ने रुझान नहीं दिखाया. इन शहरों में ट्रेनिंग नहीं हो सकेगी.
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