Udaipur News: दुनिया में कई प्रकार की दुर्लभ और जानलेवा बीमारियां पाई जाती हैं, जिनका इलाज लाखों रुपये में होता है. ऐसी ही एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी उदयपुर के बाल चिकित्सालय में एक बच्चे में पाई गई है, जिसका नाम है गोचर. यही नहीं, ऐसी ही सात अलग-अलग बीमारियां 18 बच्चों में डिटेक्ट की गई हैं. बड़ी बात यह है कि इन बीमारियों का उदयपुर के बाल चिकित्सालय में बिल्कुल फ्री इलाज किया जा रहा है.
गोचर बीमारी के मिले 5 मरीज
रविंद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल लाखन पोसवाल ने बताया कि बाल चिकित्सालय में दो साल में 120 संदिग्ध बच्चों में से 18 बच्चे सात दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मिले हैं. इनमें से दुनिया के दुर्लभतम रोग गोचर्स के पांच मरीज भी हैं. मरीज को हर महीने 1.25 लाख रुपये का एक इंजेक्शन लगाना जरूरी है, जो ताउम्र लगता है. ऐसे में आम आदमी यह खर्च उठाने के दायरे से कोसों दूर है, लेकिन राहत की बात यह है कि ये इंजेक्शन बाल चिकित्सालय में निशुल्क लगाए जा रहे हैं.
प्रिसिंपल पोसवाल ने आगे बताया कि औसत 350 की ओपीडी वाले बाल चिकित्सालय में दो साल के दौरान नवजात से लेकर 18 साल तक की उम्र वाले 120 बच्चों की गहन जांच की थी, जिनकी शारीरिक-मानसिक गतिविधियां स्थितियां संदिग्ध थीं. इन्हीं में से 18 बच्चे दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित पाए गए हैं.
यह होती है गोचर बीमारी
उन्होंने बताया कि ग्लूको सेरिब्रोसाइडेज एंजाइम की कमी से बच्चों में गोचर की बीमारी होती है. इसकी वजह से घातक वसायुक्त तत्व शरीर में जमा हो जाते हैं, जो लीवर, हृदय तथा हड्डियों को प्रभावित करते हैं. इससे शरीर के आंतरिक ऑर्गन बढ़ जाते हैं, ग्रोथ कम हो जाती है. जैसे पेट बढ़ जाता है, लंबाई नहीं बढ़ती, सांस में तकलीफ के साथ ही अन्य तकलीफ होने लगती है. ऐसे में मरीज को वेला ग्रुप ग्लुकारस और इमी ग्लुकारस की दवाई दी जाती है.
18 बच्चों में यह 7 बीमारियां डिटेक्ट हुई
बाल चिकित्सालय के 18 बच्चों में गोचर्स, अमिनोएसिडोपैथीज, म्यूकोपोलिसिकेराइटोसिस, बायोटिनिडेज डेफिसिएंसी, गैलेक्टोसिमिया, ऑर्गेनिक एसिडेमिया, फैटी एसिड ऑक्सीडेशन.
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