Rajasthan News: राजस्थान के हाड़ौती (Hadoti) के केशवरायपाटन (Keshoraipatan) उपखण्ड क्षेत्र के रोटेदा (Roteda) कस्बे में रविवार को लोक देवता (Folk Deity) घास भैरू (Ghas Bhairu) की सवारी निकाली गई. मान्यता है कि इनकी सवारी (Ghas Bhairu Sawari) निकालने से क्षेत्र में बीमारियां (Diseases) नहीं फैलती हैं और अच्छी बारिश (Good Rain) होती है, जिससे फसलें (Crops) लहलहाने लगती हैं. लोक मान्यताओं के अनुसार, बारिश के देवता इंद्र देव (Lord of Rain Indra Dev) को प्रसन्न करने के लिए कहीं हल चलाया जाता है तो कहीं यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं लेकिन  राजस्थान के हाड़ौती इलाके में लोक देवता घास भैरू की सवारी निकाली जाती है. माना जाता है कि इससे घास भैरू इंद्र देव के पास जाकर बारिश करवाते हैं.


घास भैरू की सवारी सुबह आठ बजे मुख्य बस स्टैंड से शुरू हुई, जो कस्बे के प्रमुख मार्गो से होकर गुजरती हुई दोपहर को पुनः अपने गन्तव्य पहुंचकर सम्पन्न हुई. सवारी के दौरान युवा घास भैरू को आसन पर विराजमान कर रस्सियों पर जोर लगाते और जयकारे लगाते नजर आए. सवारी घरों के सामने से गुजरी तो लोगों ने अगरबत्ती जलाकर और तेल, प्रसाद आदि अर्पण कर पूजा की. इस मौके पर ग्रामीण अपने घरो में बीमारियों से बचाव के लिए मिटटी दरवाजों पर लगाते नजर आए.


एक अजब मान्यता यह भी


सवारी के दौरान घास भैरू के रूठने की भी परंपरा है. ऐसे में लोग उन्हें सिंहासन से उतारकर शराब अर्पित करते हैं और सांखी गाने गाए जाते हैं. इसके बार फिर से घास भैरू को सिंहासन पर बिराजमान करके सवारी निकाली जाती है. घास भैरू की यात्रा में बच्चे, युवक-युवतियों, हर उम्र वर्ग के पुरुष और महिलाएं शामिल हुए. महिलाएं गीत गाती चल रही थीं. सैकड़ों ग्रामीण इस आयोजन में मौजूद रहे. सवारी के बाद ग्रामीणों ने लड्डू और बाटी का भोग लगाया.


यह भी पढ़ें- Rajasthan News: अपनी ही सरकार के मंत्री के घर के बाहर धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक, इस मामले को लेकर जताई नाराजगी


कोटा संभाग के हर गांव में होता है ऐसा आयोजन


बता दें कि कोटा (Kota) संभाग के हर गांव में ऐसा आयोजन होता है. ग्रामीण जमना शंकर और जानकीलाल मालव का कहा, ''हमारी मान्यता है कि क्षेत्र में अच्छी बरसात और असाध्य रोगों से निजात के लिए घास भैरू की सवारी निकाली जाती है. जो गांव की परिक्रमा कर पुनः निर्धारित स्थान पर पहुचती है. साथ ही जहां-जहां से घास भैरू जी की सवारी निकलती है. वहां की मिट्टी को भी लोग लाल कपड़े में बांधकर दरवाजे पर टांग देते हैं. मान्यता है ऐसे करने से बुरी शक्तियों का असर घर-परिवार पर नहीं पड़ता है. यह आयोजन मौसमी बीमारियां और मानसून शुरू होने से पहले किए जाता है ताकि रोगों से बचा जा सके और अच्छी बरसात हो सके.'' बूंदी जिले से शुरु हुआ घास भैरू की सवारी का आयोजन अब हाड़ौती क्षेत्र के कई गांवों किया जाता है.


यह भी पढ़ें- Bharatpur Crime News: भरतपुर में बेखौफ हुए बदमाश, गिरफ्तार करने आई पुलिस पर चाकू से हमला कर हुआ फरार