Rajasthan News: राजस्थान के सरकारी अस्पतालों (Rajasthan Government Hospitals) में अब सिर्फ जन आधार कार्ड  (Jan Aadhaar) से ही मुफ्त इलाज मिल सकेगा. फिलहाल, अभी तक आधार कार्ड (Aadhaar Card) और जन आधार कार्ड दोनों मान्य थे. ओपीडी में टिकट बनवाने के लिए  जन आधार और आधार कार्ड दोनों दिखाना होगा. नियम लागू होने के बाद ज्यादातर मरीज आधार, जन आधार कार्ड ही लेकर पहुंच रहे हैं. बिना आधार कार्ड या जन आधार पहुंचने वालों को टिकट देने में दुश्वारी आ रही है. नियम लागू करने के पीछे सरकार का तर्क है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना( Mukhyamantri Chiranjeevi Swasthya Bima Yojana) लागू है.


राजस्थान वासियों को 10 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त 


योजना के तहत राजस्थान वासियों को 10 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त है. ऐसे में दूसरे राज्यों से मरीज भी बड़ी संख्या में इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. सरकार ने 7 सितंबर से बाहरी राज्यों के मरीजों का इलाज भी बंद करने का फैसला लिया है. बाहरी राज्यों के लोगों को इलाज कराने पर चिरंजीवी योजना के समान भुगतान करना होगा. प्रदेश में सभी सरकारी अस्पतालों के ओपीडी काउंटर पर लगे सिस्टम को भी अपडेट कर दिया गया है. नए सॉफ्टवेयर में जन आधार कार्ड-आधार कार्ड का स्लॉट बनाया गया है.


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नंबर डालने के साथ मरीज का नाम डिस्प्ले पर आ जाएगा


मरीज को टिकट देते वक्त दोनों कार्ड के नंबर डालने होंगे. नंबर डालने के साथ संबंधित व्यक्ति का नाम डिस्प्ले पर आ जाएगा और टिकट मुफ्त दिया जाएगा. मुफ्त योजना का लाभ सिर्फ राजस्थान के ही लोग ले सकेंगे. इसके लिए जन आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है. गंभीर बीमारियों के लिए जन आधार कार्ड ही मान्य होगा. गौरतलब है कि सीएम अशोक गहलोत ने पिछले बजट में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज स्कीम (Universal Health Coverage Scheme) की घोषणा की थी.


सरकार ने 10 लाख रुपए योजना में बढ़ाने के साथ ही अस्पतालों में ओपीडी, आईपीडी सेवाएं पूरी तरह फ्री कर दी है. अब दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन की शुरूआत हुई तो सामने आया कि एक योजना के लाभार्थी दूसरी योजना में शामिल हो रहे हैं. साथ ही दूसरे राज्य के लोग भी योजना से जुड़ रहे हैं. ऐसे में सरकार को दोहरा नुकसान हो रहा है. नुकसान को रोकने के लिए राज्य सरकार ने जन आधार कार्ड अनिवार्य किया है. राजस्थान निवासी मरीज के पास जन आधार कार्ड नहीं होने पर परिजनों को दस्तावेज के साथ अस्पताल अधीक्षक के सामने पेश होकर शपथ पत्र देना होगा. तब जाकर मरीज को  इलाज मिल सकेगा. 


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