Rajasthan News: राजस्थान की सरकारी स्कूलों में नामांकन के आधार पर अब कंपोजिट स्कूल ग्रांट राशि मिलेगी. यह राशि स्कूलों में भौतिक सुविधाओं के साथ छात्रो के हित, मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए उपयोग में दी जाती है. समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत प्रदेश के राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन अनुसार करोड़ों रुपए दिए जाएंगे. 


'फंड होगा तो विकास होगा'
इसको लेकर राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से आदेश जारी किए गए है. वहीं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस राशि से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कार्य को बढ़ावा दिया जाएगा, पाठ्य सामग्री, क्रियाओं का विकास करना व विद्यालयों की देने की आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा. पहले प्रस्ताव बनाकर राशि का इंतजार किया जाता था. लेकिन अब सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए नामांकन के आधार पर राशि देने का फैसला किया है वह सही है. स्कूल में फंड होगा तो जल्दी ही विकास की रणनीति तय हो सकेगी. 


यह है प्रावधान, ऐसे मिलेगी राशि
सरकार ने आदेश में छात्रों की संख्या के अनुसार स्कूल में राशि देने का फैसला किया है. जिसमें छात्र 1 से 30 10 हजार, 31 से 100 के बीच 25 हजार, 101 से 250 के बीच 50 हजार, 251 से 1000 के बीच 75 हजार, 1000 से अधिक एक लाख ओर इससे अधिक राशि बढ़ती जाएगी. प्रदेश के जिले में जितनी स्कूल होगी उसके अनुसार ऑनलाइन नामांकन की स्थिति को पता लगाकर वहां जिले भर की राशि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भेज दी जाएगी जो करोड़ों रुपए की होगी. यह अनुदान राशि डाइट के शैक्षिक सत्र 2020-21 के डाटा में नामांकन के अनुसार विद्यालयों को दी जाएगी. 


इनमें खर्च होगा पैसा
समग्र शिक्षा अभियान के आदेश के अनुसार कंपोजिट स्कूल ग्रांट परीक्षा स्टेशनरी, शिक्षण अधिगम सामग्री पेयजल, बिजली, इंटरनेट, खेल सामग्री, दरी, ब्लैक बोर्ड, ग्रीन बोर्ड, प्रयोगशाला उपकरण के रख रखाव, रंगरोगन सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं के आयोजन में प्रमाण पत्र एवं छात्रहित के कामों में खर्च की जा सकेगी. इसमें 10 प्रतिशत राशि का उपयोग स्कूल में स्वच्छता के अंतर्गत सुविधा घरों के रखरखाव और पानी टंकियों की सफाई पर खर्च करना आवश्यक है. शिक्षा विभाग,पंचायतीराज विभाग, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, संस्कृत शिक्षा,शिक्षाकर्मी बोर्ड और समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित विद्यालयों को दी जाती है. 


प्राथमिक विद्यालयों का बढ़ेगा संबल
समग्र शिक्षा द्वारा नामांकन के आधार पर राशि दिए जाने के फैसले के बाद कई स्कूलों मैं अब विकास की आस जगी है. छोटे-मोटे विकास को लेकर स्कूलों में भारी परेशानी का सामना छात्रों और स्टाफ को करना होता था. वही राशि की राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सर्वाधिक आवश्यकता भी है. कक्षा पहली से आठवीं तक प्रवेश लेने वाले बच्चों से कोई शुल्क नहीं लेने के कारण विद्यालयों को इसी राशि पर ही निर्भर रहना पड़ता है. राशि के आवंटन से प्राथमिक विद्यालयों को बड़ा संबल मिलेगा. इसका उपयोग वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक कर उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग में जमा कराना होगा.


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