Rajasthan Vidhan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले जोधपुर के दिग्गजों में छिड़ी जंग और तेज होती जा रही है. आरोप-प्रत्यारोप के साथ तल्ख टिप्पणी मीडिया की सुर्खियां बन रही है. इस बीच मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंच गया है. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh shekhawat) ने सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के खिलाफ दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में मानहानि केस में बयान दर्ज कराए. 


इसलिए भड़के हैं शेखावत


केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि मूल चार्जशीट या एसओजी की ओर से पेश दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट्स में से किसी में भी मुझे दोषी नहीं माना गया है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने बात करते हुए मुझे अभियुक्त करार दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने न सिर्फ मुझे, बल्कि मेरे परिवारजनों को भी अभियुक्त कहा. 21 फरवरी को सारी हदें पार करते हुए मुख्यमंत्री ने मुझे, मेरी पत्नी, मेरे पिता और मेरी दिवंगत माता, सबके खिलाफ जुर्म प्रमाणित हो गया है, ऐसा वक्तव्य उन्होंने दिया है. इन सभी विषयों को मैंने न्यायालय के समक्ष अपने बयान दर्ज कराते हुए रखा है.


कोऑपरेटिव सोसाइटी का मुद्दा भी उठाया


संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के पीड़ितों से मुख्यमंत्री के एक दिन पहले फिर मिलने के सवाल पर शेखावत ने कहा कि निश्चित रूप से उन्हें मिलना चाहिए. केवल संजीवनी पीड़ितों से ही नहीं, अपितु आदर्श को-ऑपरेटिव सोसाइटी, जिसका घोटाला पुलिस और मुख्यमंत्री कहते हैं कि 12 हजार करोड़ रुपए का है. नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी, साईं कृपा कोऑपरेटिव सोसाइटी और उसके जैसी लगभग 10 से 12 क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी हैं, जिनमें करीब 14-15 हजार करोड़ रुपए का पैसा निवेशकों का डूबा है. 


आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव का भी उठाया मुद्दा


शेखावत ने कहा कि मैं मीडिया के माध्यम से एक प्रश्न करना चाहता हूं, जो सबसे बड़ी आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के गबन की राजस्थान की एसओजी जांच कर रही है. इसके करीब 20 लाख से ज्यादा निवेशक हैं. उनके निवेशकों से मुख्यमंत्री कभी नहीं मिलते, न ही उनके निवेशक मुख्यमंत्री के पास में पहुंच पाते हैं, ऐसा क्यों हैं?


निराधार बयान देने का लगाया आरोप


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साईं कृपा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, जो मुख्यमंत्री की ही पार्टी के पदाधिकारी चलाते थे, जिन पर केस भी रजिस्टर्ड हुए हैं. केसों में पुलिस ने जुर्म प्रमाणित भी किया है, लेकिन उसकी जांच एसओजी में लाकर डंप कर दी गई है. उस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. ऐसी सारी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के निवेशकों से वो नहीं मिलते हैं. केवल एक ही क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के निवेशकों के साथ मिलकर, उनके एजेंट्स के साथ मिलकर, जो प्राथमिक रूप से धरातल से पैसा उगाकर कोऑपरेटिव सोसायटी में जमा कराते थे, इस नाते वह सीधे संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से जुड़े थे. न केवल जुड़े थे, अपितु अपराध के सहयोगी भी थे. उनके साथ में बैठकर और मिलकर ऐसे बयान देते हैं, जिनका कोई आधार नहीं है.


सीबीआई को सौंपने की रखी मांग


शेखावत ने कहा कि मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए भारत सरकार ने एक कानून बनाया था. इसके मुताबिक ऐसे सारी कोऑपरेटिव सोसाइटी या अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट्स जहां होते हैं, उनको वर्ष 2019 के कानून के जरिए से निवेशकों को उनका पैसा शीघ्रता के साथ दिलाया जा सकता है.


उस कानून के मुताबिक कार्रवाई करने की कोशिश राजस्थान सरकार क्यों नहीं कर रही है? राजस्थान सरकार को उस कानून के अनुरूप मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के प्रकरणों की जांच तुरंत सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए, ताकि सक्षम न्यायालय उनकी संपत्तियों को अटैच करने के बाद उनको बेचकर लोगों के पैसे का भुगतान कर सके. उन्होंने कहा कि द बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट 2019 को राजस्थान में घोषित करने के बावजूद उसके तहत जांच को आगे बढ़ाकर लोगों को पैसा दिलाने के बजाय इसको एक राजनीतिक हथियार के रूप में काम करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? 


कानून पर अमल नहीं करने का आरोप


केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि राजस्थान और राजस्थान के बाहर लाखों ऐसे निवेशक हैं, जिन्होंने इन सारी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में अपना पैसा गंवाया है. उनके पैसे को वापस भुगतान कराने के लिए जो कानून देश में आज की तारीख में लागू है, उस कानून के खिलाफ आचरण और व्यवहार राजस्थान की सरकार क्यों कर रही है? भोले-भाले गरीब निवेशकों के सामने अपने घड़ियाली आंसू बहाकर अपने राजनीतिक लाभ में उसका नुकसान करने की कोशिश वह क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब उनको देना चाहिए.


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