Rajasthan Education News: राजस्थान के कोटा में हाल ही में तीन छात्रों द्वारा सुसाइड करने के बाद से सकते में आई गहलोत सरकार अब शिक्षण संस्थानों सहित कोचिंग इस्टीट्यूटों पर भी नकेल कसने की तैयारी में है. माना जा रहा है कि राजस्थान सरकार शिक्षण संस्थानों को विनियमित करने के लिए जल्द नया कानून बना सकती है. इस योजना के तहत बहुप्रतीक्षित राजस्थान निजी शैक्षिक नियामक प्राधिकरण विधेयक-2022 विधानसभा के आगामी बजट सत्र में पेश करने की योजना है. शैक्षिक नियामक प्राधिकरण विधेयक 2022 के तहत प्रदेश सरकार एक नियामक प्राधिकरण के माध्यम से छात्रों को तनाव माहौल मुहैया कराने के साथ उनकी समस्याओं का समाधान भी करना चाहती है.
5 करोड़ आर्थिक दंड का प्रावधान
प्रस्तावित विधेयक की जद में स्कूल, कॉलेजों के साथ वे कोचिंग सेंटर भी आएंगे जो छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कराते हैं. प्रस्तावित मसौदे के मुताबिक शिक्षा नियामक प्राधिकरण का अध्यक्ष प्रतिष्ठित शिक्षाविद होगा. नये प्राधिकरण को छात्रों को तनाव से बचाने के लिए अध्ययन के घंटे, छुट्टी के दिन तय करने और परीक्षाओं के बीच के अंतर को ठीक करने की जिम्मेदारी सौंपने की योजना है. नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल, कॉलेज व कोचिंग सेंटरों के संचालकों पर भारी जुर्माने का भी भुगतान करना पड़ेगा. इतना ही नहीं, बार-बार इस तरह का अपराध करने वाले निजी संस्थानों को अधिकतम एक करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा. बार-बार उल्लंघन करने पर जुर्माना 5 करोड़ रुपये तक का हो सकता है.
ऐसा करना कोचिंग सेंटरों को पड़ेगा भारी
राजस्थान सरकार के शिक्षा नियमन मसौदे में छात्रों को नौकरी के विकल्पों के बारे में जानकारी देने के लिए करियर काउंसलिंग सेल बनाने का भी जिक्र है. मसौदा कहता है कि अन्य छात्रों को किसी तरह की हीनता की भावना से बचाने के लिए नियामक प्राधिकरण, फर्जी विज्ञापन और टॉपर्स की महिमा को हतोत्साहित करने के भी प्रावधान शामिल किए गए हैं। नियामक प्राधिकरण कोचिंग सेंटरों द्वारा अपने छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के बारे में झूठे दावों से भी निपटेगा। नियमों का उल्लंघन करने वाले कोचिंग सेंटरों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की भी योजना है.
छात्राओं की सुरक्षा के लिए भी उठाए जाएंगे सख्त कदम
शिक्षण संस्थानों में छात्रों की मानसिक और शारीरिक हित का ध्यान रखते हुए नियमित परामर्श, मनोरंजन और सुरक्षा के लिए नियम भी बनाए जाएंगे. यह हर संस्थान में एक परामर्श और सलाह प्रकोष्ठ की स्थापना को अनिवार्य करेगा. इसी तरह छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए जाएंगे. निजी शिक्षण संस्थानों में विकलांग छात्रों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए भी प्रावधान होंगे. कोचिंग सेंटर में दाखिले से पहले छात्रों के लिए अनिवार्य योग्यता परीक्षा होगी और उसके परिणाम माता-पिता के साथ साझा किए जाएंगे. प्राधिकरण छात्रों और अभिभावकों के लिए 24x7 हेल्पलाइन स्थापित करना अनिवार्य करेगा.
अन्य विकल्पों के बारे में भी बताएं कोचिंग संस्थान
नवंबर 2022 में राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए जरूरी दिशानिर्देश जारी किए थे. उस निर्देश में कहा गया था कि अगर कोई छात्र आईआईटी और चिकित्सा संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं में विफल रहता है तो उन्हें करियर के अन्य विकल्पों के बारे में बताया जाए. एक अधिकारी ने तब कहा था कि किसी छात्र के संस्थान छोड़ने की स्थिति में उनके पास रिफंड का भी प्रावधान होना चाहिए। बताया जा रहा है कि विधेयक को विधानसभा के अगले सत्र में पेश किए जाने की संभावना है.
बता दें कि हाल ही में कोटा के एक कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले तीन छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी. इनमें से दो छात्र बिहार के थे और एक छात्र एमपी के रहने वाले थे. कथित तौर पर छात्रों ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वे वहां पढ़ाई का दबाव नहीं झेल पा रहे थे. मसौदा विधेयक में ट्यूशन फीस, वार्षिक शुल्क वृद्धि, अध्ययन सामग्री की लागत और ट्यूशन केंद्रों सहित निजी संस्थानों द्वारा लगाए गए अन्य शुल्कों के नियमन का भी प्रस्ताव है.
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