Rajasthan News: कॉलेजों में अब तक किताबी ज्ञान, व्यवसायिक शिक्षा के साथ कई तरह का शिक्षण प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ऐसे में कृषि कॉलेजों (Agricultural College) में अनूठी पहल शुरू होने जा रहे हैं. हम पढ़ाई तो करेंगे ही लेकिन खुश कैसे रह सकते हैं, तनाव को दूर कैसे कर सकते हैं? आगे बढ़ने के ऐसे कई ऐसे तरीके अब पाठ्यक्रम में शामिल किए जा रहे हैं. अब देशभर के कृषि कॉलेजों में विद्यार्थियों को हैप्पीनेस की ट्रेनिंग मिलेगी.


पढ़ाई के साथ तनाव को दूर कर कैसे खुशी के साथ आगे बढ़ें, इसे पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है. इसके लिए तेलंगाना में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) और हार्टफुल एजुकेशन ट्रस्ट के बीच एमओयू साइन हुए हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक आर.सी. अग्रवाल और हार्टफुल संस्था के कमलेश पटेल के बीच एमओयू हुआ है.


योग, मेडिटेशन किया गया शामिल
दरअसल, अब तक किसी भी यूनिवर्सिटी में अपना एक अलग कोर्स होता आया है. इसमें पढ़ाई और प्रयोगात्मक शिक्षा शामिल होती है. कई बार इससे कृषि कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी तनाव के दौर से गुजरते हैं. इसका सीधा सा असर उनके कॅरियर पर पड़ता है. इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने योग, मेडिटेशन, हैप्पीनेस को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है. इसमें विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ ही खुश रहने के तरीके भी बताए जाएंगे. इसके लिए बाकायदा क्लासेस संचालित होंगी.


दो लाख विद्यार्थियों को हैप्पीनेस की ट्रेनिंग
यह सभी पाठ्यक्रम निशुल्क है. इससे कृषि के क्षेत्र में पढ़ाई कर रहे देशभर के 2 लाख विद्यार्थियों को हैप्पीनेस की ट्रेनिंग मिल सकेगी. इसमें विद्यार्थियों को मानवता, रिश्तों की अहमियत, भौतिक जीवन को संतुलित करने के तरीके, व्यवसाय या पेशे के प्रति दृष्टिकोण और दृष्टिकोण को बेहतर रखने के बारे में बताया जाएगा.


नेचुरल फार्मिंग भी होगी शामिल
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से देशभर के कृषि यूनिवर्सिटीज के वार्षिक सम्मेलन में नेचुरल फार्मिंग को पाठ्यक्रम में शामिल करने की रूपरेखा भी तैयार की गई है. संभवत: इसे अगले शिक्षा सत्र से कोर्स में शामिल किया जा सकता है. नेचुरल फार्मिंग से विद्यार्थियों को गोबर और केंचुआ खाद जीवामृत से फसलों में पैदावार बढ़ाने और उन्नत उत्पादन करने की प्रक्रिया पर पूरा पाठ्यक्रम होगा. परंपरागत तकनीक से किसान दूर होते जा रहे हैं. जैविक खाद और नेचुरल दवाइयों का स्थान केमिकल युक्त खेती ने ले लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेचुरल फार्मिंग पर ध्यान देना शुरू किया है. इसी के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से यह फैसला लिया गया है.



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