Rajasthan News: दिल से जुड़ी बीमारी काफी गंभीर होती हैं, लेकिन दिल से संबंधित कई बीमारियां है जिसका डॉक्टर रोजाना ऑपेरशन कर रहे हैं और मरीजों की जान भी बचा रहे हैं. इसी दिल से जुड़ी एक बीमारी का राजस्थान के उदयपुर के डॉक्टर की टीम ने एक 15 साल के बच्चे का दुर्लभ ऑपेरशन किया है. मरणासन्न स्थिति में आए 15 साल के किशोर को डॉक्टर की टीम ने स्वस्थ कर दिया और इसी उपलब्धि पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बधाई देते हुए ट्वीट किया है. यह ऑपेरशन उदयपुर के एक निजी हॉस्पिटल में हुआ और इस ऑपरेशन को लेकर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने प्रेसवार्ता कर जानकारी दी है.


ऑपरेशन के बाद बची दिनेश की जान


हॉस्पिटल निदेशक अंकित अग्रवाल ने बताया कि उदयपुर जिले के झाड़ोल (फलासिया) ब्लॉक के घोरण पंचायत क्षेत्र निवासी बंशीलाल पलात मजदूरी करके अपने परिवार का जीवन यापन करता है. नौवीं कक्षा में पढ़ने वाला उसका पुत्र दिनेश आम जिंदगी जी रहा था परंतु शारीरिक तकलीफ होने पर जांच करवाई तो पता चला कि रोगी के दिल के एक वाल्व में बहुत ज्यादा लीकेज है. मरणासन्न स्थिति में दिनेश को गीतांजलि हॉस्पिटल लाया गया तो उसका 9 जून को निःशुल्क ऑपरेशन किया गया. यह राजस्थान में पहली बार हुआ कि ऑपरेशन के बाद रोगी को तीन दिन तक एक एक्मो मशीन पर रखा गया और इस गंभीर रोगी में सुधार आने लगा. ऑपरेशन के बाद आज वह स्वस्थ है एवं सामान्य जीवन यापन करने लग गया है. 


रूमेटिक हृदय रोग के ऑपरेशन का पहला मामला


इस ऑपरेशन को लेकर कलेक्टर ताराचंद मीणा ने बताया कि राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है कि महज 15 साल का रोगी जो कि रूमेटिक हृदय रोग से पीड़ित था, उसका जर्मन की अत्याधुनिक तकनीक से युक्त एक्मो मशीन से सफल इलाज हुआ. कलेक्टर ने बताया कि इस प्रकार के गंभीर रोग के ऑपरेशन के बाद अब उदयपुर हार्ट ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में भी आगे आ गया है. कलेक्टर मीणा ने बताया कि यह ऑपेरशन चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के जरिये निशुल्क हुआ है. जबकि इस ऑपेरशन में 7-8 लाख रुपए का खर्च आता है.


दिनेश का ऑपरेशन करने वाले हृदय शल्य चिकित्सक डॉ संजय गांधी ने बताया कि हार्ट फेलियर के लक्षणों के आए रोगी को चलने-फिरने में सांस फूलना, पाँव में सूजन, शरीर में कमजोरी, दिल की धड़कन तेज जैसे लक्षण थे. उसे भर्ती करने के बाद वार्ड में ही उसके ह्रदय की गति बहुत धीमी हो गयी, तुरंत कार्डियक एनेस्थीसिया की टीम ने रोगी को सीपीआर दिया. लगभग आधा घंटा रोगी के चेस्ट कंप्रेशन दिया गया. डॉ संजय गांधी ने कहा कि रोगी में सुधार तो हो गया लेकिन इसके प्लेटलेट काउंट काफी कम होने के कारण ऑपरेशन करना संभव नहीं था. जैसे ही प्लेटलेट काउंट बढ़े तुरंत रोगी को चिकित्सालय की टीम ने ऑपरेशन कर वाल्व को बदला. फिर रोगी की स्थिति को देखते हुए रोगी को अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त एक्मो मशीन पर लिया गया. तीन दिन एक्मो मशीन के सपोर्ट पर टीम की लगातार मॉनिटरिंग के बाद रोगी अब रोगी पूर्णतया स्वस्थ है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में अब तक की यह पहली सफल सर्जरी है जिसमें इस स्तर के रोगी को जीवनदान मिला है. 


क्या है एक्मो मशीन


एक्मो यानी एक्स्ट्राकॉरपोरेल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन वह तकनीक है, जिसमें मरीज को कार्डियक और रेस्पीरेटरी सपोर्ट दिया जाता है. गीतांजलि हॉस्पिटल के डॉ. संजय गांधी कहते हैं कि इससे लम्बे समय के लिए शरीर में हार्ट और फेफड़ों को काम में लिया जाता है. इसके इस्तेमाल के दौरान हार्ट और फेफड़े रेस्ट पर होते हैं. ये ऐसे मरीजों पर इस्तेमाल किया जाता है जो जीवित रहने के लिए जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन का आदान-प्रदान नहीं कर पा रहा है. इसमें डिवाइस एक मेम्ब्रेन ऑक्सीजनरेटर के तौर पर इस्तेमाल होता है, इसे आर्टिफिशियल लंग भी कहते हैं.


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