Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर जिले में दशहरे के अवसर पर लगने वाली जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला अब कभी भी नहीं लगेगा. जिस जमीन पर 102 साल पहले महाराजा किशन सिंह ने महाराजा जसवंत सिंह की याद में 1920 में जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला शुरू किया था . 


दरअसल 13 हेक्टेयर जमीन पर महाराजा जसवंत सिंह प्रदर्शनी और पशु मेले का आयोजन होता था. राजस्थान पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक ने जसवंत प्रदर्शनी और पशु मेले की 12 हेक्टेयर जमीन को राजकीय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान कॉलेज के लिए आवंटित कर दिया है. बताया गया है कि जिला कलेक्टर द्वारा इस जमीन को पशु चिकित्सालय एवं विज्ञान कॉलेज के लिए आवंटित करने का प्रपोजल पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक को भेजा था.


अब 12 हेक्टेयर जमीन को राजकीय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान कॉलेज को आवंटित कर दिया है. अब यह जमीन पशुपालन विभाग की नहीं रही है जिस पर पशुपालन विभाग जसवंत प्रदर्शनी का आयोजन करता था. जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेले से पशु पशुपालन विभाग को 60 - 70 लाख रूपये की प्रतिवर्ष आय भी होती थी. 


अब नहीं लगेगा कभी भी मेला 
महाराजा किशन सिंह द्वारा शुरू की गई जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेले का आयोजन अब कभी नहीं होगा. इसका मुख्य कारण यह है की जिस जमीन पर मेला लगता था उस जमीन  के जाने के बाद अब 102 साल से लग रहा ऐतिहासिक जसवंत प्रदर्शनी पशु मेला हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. यह मेला ना केवल स्थानीय लोगों की श्रद्धा से जुड़ा हुआ था बल्कि पूरे उत्तर भारत में यह मेला काफी प्रसिद्ध रहा है. जो प्रशासनिक अधिकारियों और राजस्थान सरकार की इच्छाशक्ति की भेंट चढ़ गया है.


उत्तर भारत का मशहूर है यह मेला 
जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला उत्तर भारत में मशहूर है. इस मेले में उत्तर प्रदेश ,हरियाण, मध्य प्रदेश, दिल्ली से व्यापारी अपना कारोबार करने आते थे. पशु मेले में भी पशु खरीदने और पशु बेचने और खरीदने के लिए आते थे. प्रदर्शनी में किसानों को पशुपालन, कृषि, बीज, खेती के लिए उपयोग में आने वाले उपकरण की जानकारी भी दी जाती थी. 


आस-पास के गावों से आते थे लोग
भरतपुर की जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेले में शहर व आसपास के गावों से हजारों की संख्या में लोग मेला देखने आते थे. इस मेले में विभिन्न प्रकार की खेल व पशु प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है मेले में कुश्ती दंगल का आयोजन भी किया जाता है जिसमें देश के नामी पहलवान कुश्ती दंगल में कुश्ती लड़ने आते हैं. झूले, सर्कस, मौत का कुआं सहित कई मनोरंजन के साधन मेले को आकर्षित बनाते हैं. मेला देखने आने वाले लोगों के लिए चाट और मिठाई सहित अनेक प्रकार के व्यंजनों की दुकान लगती हैं. इस दौरान यहां कपड़ा व्यापार भी लगता है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोग यहां अपने कपड़े खरीद सकते हैं. 


ये भी पढ़ें


Jodhpur News: घर में बार-बार कुत्ते के आने से परेशान डॉक्टर ने कार में बांधकर घसीटा, कुत्ते को आई कई चोटें, FIR दर्ज


Jaipur: सीएम Ashok Gehlot ने किया केश कला बोर्ड के ‘प्रतीक चिन्ह’ का लोकार्पण, पिछड़े वर्ग के लिए कही ये बात