Holi 2022: वृंदावन की तरह गंगाश्याम मंदिर में पूरे महीने खेली जाती है होली, भक्ति के रंग में रंग जाते हैं श्रद्धालु
शहर के पौराणिक गंगश्याम मंदिर में भी पौराणिक परंपरा अनुसार भगवान कृष्ण के सन्मुख उनके भक्तों द्वारा जमकर अबीर गुलाल उड़ाकर होली खेली जाती है.
Holi in Jodhpur: आज बिरज में होली रे रसिया, होली नहीं बरजोरी रे रसिया, देशभर में होली पर्व जोकि पौराणिक परंपरा के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण के द्वारा इस पर्व को बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता आ रहा हैं जिसके बाद संपूर्ण भारतवर्ष में होली पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई. इसके साथ ही त्रेता युग में भक्त पहलाद को उसके पिता द्वारा भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोष व्याप्त होकर उसे जलाने के प्रयास को लेकर होलिका दहन की परंपरा भी शुरू हुई.
यूं तो मान्यता है कि भगवान कृष्ण गोकुल से वृंदावन फागुन मास मैं होली खेलने की परंपरा रही है उसी तर्ज पर आज भी कृष्ण मंदिरों में फागुन मास जो कि पूरे महीने भगवान के सन्मुख होली गीतों पर भक्तजन आज भी वृंदावन शहर के कृष्ण मंदिरों में होली खेली जाती है. इसी तर्ज पर शहर के पौराणिक गंगश्याम मंदिर मैं भी पौराणिक परंपरा अनुसार भगवान कृष्ण के सन्मुख उनके भक्तों द्वारा जमकर अबीर गुलाल उड़ा कर उसकी धूली मैं अपने व पूरे मंदिर प्रांगण को रंग दिया जाता है. पुजारी अबीर गुलाल की थालियां भर-भर कर फागुन भजनों पर झूम रहे भक्तों पर यह रंग डाला जाता है.
जोधपुर नरेश को मिली थी प्रतिमा
परकोटे के भीतरी शहर जूनी धान मंडी में स्थित गंगश्यामजी मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान श्याम की प्रतिमा जोधपुर नरेश राव गांगा को बतौर दहेज में मिली थी. राव गांगा (1515 से 1531) का विवाह सिरोही के राव जगमाल की पुत्री रानी देवड़ी से हुआ था. राजकुमारी की श्याम प्रतिमा में गहरी आस्था थी. विवाह के बाद सिरोही से विदा होते समय राव जगमाल ने पुत्री की आस्था को देखते हुए कृष्ण की मूर्ति और ठाकुरजी की नियमित सेवा पूजा के लिए सेवग जीवराज को भी साथ दहेज के रूप में जोधपुर भेज दिया.
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पहले तो राव गांगा ने मूर्ति को मेहरानगढ़ में रखवाया. कुछ समय बाद में जूनी मंडी में विशाल मंदिर का निर्माण करवाने के बाद उसमें मूर्ति की प्रतिष्ठा करवा दी. गांगा की ओर से निर्मित श्याम जी का मंदिर ही बाद में गंगश्यामजी का मंदिर कहलाया. वैष्णव परंपरा के अनुसार मंदिर में कुल छह बार आरती होती है जिनमें मंगला, शृंगार, राजभोग, उत्थापन, संध्या और शयन आरती प्रमुख है. कलात्मक दृष्टि से मंदिर अत्यंत सुंदर तथा शहर के मध्य स्थित होने के कारण श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
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