जोधपुर: देशभर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी चल रही है.राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की 79 फीसदी से अधिक की कमी है.कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जन, महिला, बाल रोग सहित विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है.इसका खुलासा रूरल हेल्थ स्टैटिक्स 2021-22 की रिपोर्ट में हुआ है.सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर और मेडिकल ऑफिसर की भारी कमी देखी जा रही है.जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले का यह हाल तो बाकी प्रदेश का अंदाजा लगाया जा सकता है. एबीपी न्यूज़ ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर सरकारी अस्पतालों की हालत देखी.यह देखा कि सरकारी अस्पतालों में कितने डॉक्टर मौजूद हैं.


जोधपुर में कितने अस्पताल हैं


जोधपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े 35 सीएचसी और 75 पीएचसी हैं. कुल 175 डॉक्टर हैं,लेकिन 300 डॉक्टरों की जरूरत है.ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर की तादाद बहुत कम है.सभी जगह मेडिकल ऑफिसर जूनियर डॉक्टर तैनात हैं.लेकिन 35 से अधिक डॉक्टर रिलीव होकर पीजी की तैयारी में जुट गए हैं.इससे जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है.फलोदी, बालेसर, देचू, ओसियां, पंडित जी की ढाणी सहित कई अन्य सीएसीपी ऐसी हैं, जहां पर डॉक्टर की तैनाती न के बराबर है.


एबीपी न्यूज जब जोधपुर शहर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पूनियों की प्याऊ गांव के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पीएससी पहुंचा. वहां पता चला कि अच्छे खासे अस्पताल का निर्माण हुआ है. अस्पताल में संसाधन भी उपलब्ध थे, लेकिन एक भी डॉक्टर की पोस्टिंग अस्पताल में नहीं हुई है.अस्पताल में मरीज आ रहे थे और जा रहे थे. नर्सिंग कर्मचारी उनका उपचार करते दिखे. 


महिलाओं की समस्या


पुनियो की प्याऊ प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में करीब 10 गांव की आबादी आती है. प्रतिदिन इस पीएससी पर 80 से 100 की ओपीडी है. ग्रामीण मरीज यहां पहुंचते हैं तो छोटी-मोटी बीमारी के लिए उनको गोली या दवा देकर उन्हें जोधपुर के लिए रेफर कर दिया जाता है. इससे 10 गांव की हजारों की आबादी के गांव से आने वाले मरीजों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. इन गांवों की गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए जोधपुर जाना पड़ता है या फिर झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में जाना पड़ता है.एक महिला ने बताया कि उसकी पुत्र वधू की डिलीवरी होनी थी. सरकारी अस्पताल में डॉक्टर न होने के चलते उन्हें जोधपुर जाना पड़ा. वहां निजी अस्पताल ने हजारों रुपए वसूल लिए.


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