Rajasthan Night Tourism: राजस्थान का अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के कारण देश और दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर अलग ही स्थान है. प्रदेश के ऐतिहासिक किले, महल पुरातत्व और स्थापत्य कला के महत्वपूर्ण केंद्र हैं. यहां के त्योहार, मेलों और उत्सवों में प्रदेश की बहुआयामी लोक संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक संगीत और नृत्यों की विविधताएं सैलानियों के लिए हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रही हैं. ऐसे में अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार प्रदेश में नाईट टूरिज्म को बढ़ावा देने की नई पहल कर रही है.
लोक कला और कलाकारों को बढ़ावा
पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने विश्व पर्यटन दिवस पर मंगलवार रात जयपुर के मसाला चौक पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कहा कि प्रदेश में नाईट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए अब पर्यटन विभाग नई पहल कर रहा है. प्रदेश के प्रमुख स्थलों पर नाईट टूरिज्म और हैरिटेज संस्कृति, लोक कला और लोक कलाकारों को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा देशी-विदेशी पर्यटक हमारी समर्थ संस्कृति और लोक कला से रूबरू हों.
रंग-बिरंगी संस्कृति से पर्यटक अभिभूत
पर्यटन निदेशक डॉ. रश्मि शर्मा ने कहा कि राजस्थान अपनी संस्कृति, समृद्ध विरासत और वैभवशाली इतिहास के लिए दुनियाभर में विख्यात है. स्वदेशी और विदेशी पर्यटक यहां की कला, किले, महल, बावड़ियां, पारंपरिक लोक कला एवं रंग-बिरंगी संस्कृति से अभिभूत हो जाते हैं. पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों को राज्य की परंपरा और विरासत से परिचित करवाया जा रहा है.
लोक कलाकारों ने दी मनभावन प्रस्तुतियां
मसाला चौक में आयोजित कार्यक्रम पर्यटन विभाग, यूनेस्को और जयपुर विकास प्राधिकरण ने आयोजित किया था. यहां लोक कलाकारों ने लंगा, मांगणियार, मीर लोक संगीत और कालबेलिया लोक नृत्य की कला का अद्भुत प्रदर्शन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में पर्यटन विभाग के अतिरिक्त निदेशक मोहम्मद सलीम खान, संयुक्त निदेशक डॉ. पुनीता सिंह सहित अन्य अधिकारी व बड़ी संख्या में पर्यटक उपस्थित रहे.
राजस्थानी परंपरा से किया पर्यटकों का स्वागत
बता दें कि गहलोत सरकार ने मंगलवार को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर प्रदेश के सभी स्मारकों और संग्रहालयों पर पर्यटकों के लिए एंट्री फ्री रखी. इन स्थलों पर पहुंचे पर्यटकों का राजस्थानी परंपरानुसार तिलक लगाकर और माला पहनाकर स्वागत किया. स्मारकों पर लोक कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य, कालबेलिया नृत्य व अन्य कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए.
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