Jalore: एक करोड़ के बंगले में रहती हैं गौमाता 'राधा', शुद्ध देसी घी में मिलता है खाना, 4 लोग करते हैं देखभाल
घर पर लगे सीसीटीवी कैमरों से राधा की निगरानी होती है. नरेंद्र पुरोहित की धर्मपत्नी विमला पुरोहित समेत सभी बच्चे राधा की सेवा करते हैं. नरेंद्र पुरोहित को बचपन से ही गायों के प्रति लगाव रहा है.
Jalore News: गौमाता 'राधा' के लालन पालन की एक खबर आपको चौंका देगी. जालौर के रानीवाड़ा में राधा ठाठ बाठ से बंगले में रहती है. नरेंद्र परिवार राधा को दुल्हन की तरह सजाकर रखता है. खाने में सिर्फ शुद्ध देसी घी का लापसी और लड्डू खिलाया जाता है. राधा की देखभाल के लिए 4 लोगों का स्टाफ लगाया गया है. मां या बच्चों को थोड़ी सी तकलीफ होने पर डॉक्टर को बुला लिया जाता है. ढाई साल की राधा को धानोल के रहने वाले उद्योगपति नरेंद्र पुरोहित गोधाम पथमेड़ा से लाए थे. नरेंद्र पुरोहित का कहना कि घर में राधा के आने से बिजनेस में और बढ़ोतरी होने लगी. घर में सब कुछ अच्छा होने लगा. पूरा परिवार राधा का भक्त हो गया और राधा भी परिवार की सदस्य बन गई.
एक करोड़ के बंगले में रहती है गौमाता 'राधा'
नरेंद्र पुरोहित मुंबई में बीएमसी के कांट्रेक्टर हैं. उनका परिवार मुंबई में ही रहता है. धानोल में नरेंद्र पुरोहित का करीब एक करोड़ का बंगला है. राधा पूरे दिन आलीशान बंगले में रहती है. बिना रोक टोक आराम से बंगले के कमरों में आती जाती है. मन करने पर अंदर ही रहती है. बंगले के सारे कमरे गौमाता के लिए खुले रहते हैं. राधा के आने के बाद नरेंद्र पुरोहित अब परिवार सहित महीने में दस दिन धानोल में रहते हैं और बाकी दिन मुंबई चले जाते हैं. पूरा परिवार राधा का दर्शन किए बिना भोजन नहीं करता है.
घर पर लगे सीसीटीवी कैमरों से राधा की निगरानी होती है. नरेंद्र पुरोहित के परिवार में दो बेटियां सपना, निकिता और दो बेटे परेश और अभिजीत हैं. धर्मपत्नी विमला पुरोहित समेत सभी बच्चे राधा की सेवा करते हैं. नरेंद्र पुरोहित को बचपन से ही गायों के प्रति लगाव रहा है. उनका कहना है कि गाय बहुत ही दयालु प्रवृति और प्रेमभाव वाली होती है.
राधा को लाने के लिए गई थी धूमधाम से बारात
राधा को लाने के लिए धानोल से पथमेड़ा बारात गई थी. बैंड बाजा के साथ परिवार घर लेकर आया था. गाय को लाने के बाद दत्तशरणानंद जी महाराज का आशीर्वाद लिया गया. घर लाने के बाद गौमाता का नाम राधा रखा गया. नरेंद्र बताते हैं कि राधा भी पूरे ठाठ बाट से रहती है. खाने में केवल शुद्ध देसी घी से बनी लापसी और लड्डू लेती है. कभी कभी सूखा चारा दिया जाता है, लेकिन नाम मात्र का होता है. भोजन करने के लिए गाय बाकायदा बंगले में ही आती है. बाहर भोजन देने पर राधा उठकर बंगले में आ जाती है.
थाली में मिलने पर ही लापसी और लड्डू खाती है. खास बात है कि गोबर और मूत्र बंगले के बाहर आकर करती है. राधा के अलावा नरेंद्र पुरोहित के पास 27 और गायें हैं. उनके रहने के लिए बंगले के बाहर फॉर्म हाउस बनाया गया है. सभी की देखभाल के लिए स्टॉफ लगा है, लेकिन राधा की सेवा अलग से चार लोग करते हैं. चारों स्टाफ राधा को नहलाने, पांव दबाने, मालिश करने, श्रृंगार करने, साफ सफाई करने और भोजन करवाने का काम करते हैं.
गांव आने पर नरेंद्र पुरोहित खुद राधा की आरती करते हैं. आरती करने के बाद पूरा परिवार राधा के पैरों के नीचे से निकलता है. इस दौरान राधा एकदम शांत खड़ी रहती है. राधा लंपी वायरस की चपेट में आ गई थी. पता चलने पर नरेंद्र पुरोहित परिवार सहित धानोल आ गए और डॉक्टर्स की टीम से इलाज शुरू करवाया. इलाज के बावजूद राधा को कोई फायदा नहीं हुआ. नरेंद्र बताते हैं कि राधा की हालत देखकर द्वारकाधीश जी से अरदास लगाई की अगर राधा ठीक नहीं हुई तो परिवार 27 गायों का भी त्याग कर देगा. नरेंद्र के मुताबिक उनकी अरदास सुनी गई और रिकवरी में अचानक तेजी आने लगी. अभी राधा का वजन पहले से काफी कम हो गया है.