Udaipur: आपने देशभर में कई कलाकृतियों को बनाने वाले व्यक्तियों के बारे में सुना होगा लेकिन आपको राजस्थान के चुरू में रहने वाले एक ऐसे परिवार के बारे में बता रहे हैं जिनकी चार पीढियां एक ही काम में नेशनल अवार्ड जीतती आई है. परिवार में 16 सदस्यों ने 70 साल में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अब तक 11 अवॉर्ड प्राप्त कर चुके हैं. बड़ी बात यह है कि हाल ही देश में दौरे पर आए जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवार के सदस्यों द्वारा बनाई एक कलाकृति गिफ्ट की तो वह भी मुरीद हो गए.
आइए जानते हैं कौन है यह परिवार
परिवार के सदस्य पवन जांगिड़ ने एबीपी को बताया कि चंदन की लकड़ी पर कलाकृति करते हैं. उन्होंने आगे बताया कि दादा मालचंद जांगिड़ को यह कलाकृति बनाने का गॉड गिफ्ट था. उन्होंने ही इसकी शुरुआत की. उनको वर्ष 1971 में राष्ट्रपति विवि गिरी ने सम्मानित किया था. इसके बाद से अवॉर्ड का सिलसिला शुरू हुआ क्योंकि दादा से पिता और पिता से हम सभी ने यह कला सीखी. विवि गिरी से सम्मानित होने बाद वर्ष 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी दादा जी को सम्मानित किया.
फिर 1973 में राष्ट्रपति विवि गिरी ने पिता चौथमल जांगिड़, 1993 में राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने महेश जांगिड़. इसके बाद परिवार के सदस्य को 1995 में राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने विनोद जांगिड़, 1999 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पवन जांगिड़, 2000 में उप राष्ट्रपति कृष्णकांत ने सीताराम जांगिड़, 2005 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने नौरतमल जांगिड़, 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कमलेश जांगिड़ को पुरस्कार दिया था. 2020-2021 में ओमप्रकाश को राष्ट्रपति अवॉर्ड देने की घोषणा हो चुकी है. इसी तरह 2022 में मुझे राष्ट्रीय शिल्प गुरु अवॉर्ड देने की घोषणा हो चुकी है. अब बेटे शुभम को कला सीखा रहे हैं.
पीएम ऑफिस से मिला ऑर्डर
पवन जांगिड़ ने बताया कि एक माह पहले पीएम ऑफिस से फोन आया था जहाँ से उन्होंने कलाकृतियों के बारे में पूछा. फिर पीएम ऑफिस से आदेश मिला कि चंदन की कृष्ण मोर पंखी तैयार करें. ऑर्डर मिलने के बाद मोर पंख तैयार करने में जुट गए. ऑर्डर समय पर देने के लिए कई बार रात में भी काम करते थे. पिता की भी मदद ली. एक माह में 18X12 इंच की कृष्ण मोर पंखी तैयार कर दिल्ली भिजवाई. पीएम नरेंद्र मोदी ने जापान के पीएम को गिफ्ट दिया.
विदेश तक सप्लाई
पवन ने बताया कि चंदन की लकड़ी पर बनाई कलाकृतियों की देश के कई शहरों सहित विदेशों तक मांग होती है. अरब देशों के अलावा अमेरीका, हॉलैंड, फ्रांस, जर्मनी, थाईलैंड सहित अन्य जगह मांग है. उन्होंने बताया वर्ष 2010 में 5 फीट की राजस्थानी महिला की कलाकृति बनाई थी, जिसको करीब साढ़े 12 लाख में बेचा गया. इस कलाकृति को बनाने में 3 साल लगे थे.
इस कलाकृति की खासियत है कि इसके सभी पार्ट अलग-अलग खुलते हैं. इसके अलावा एक चंदन की लकड़ी का 6 फीट का पेन भी बनाया था, जिसे बनाने में करीब 1 साल का समय लगा था जिसे साढ़े सात लाख रुपए में बेचा था. जैसा ऑर्डर मिलता है वैसी कलाकृति बनाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि इसको बनाने के लिए कहीं औजार नहीं मिलते है. खुद ही बनाते हैं.
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