Kota News: जहां बच्चे सात साल के उम्र में ठीक से बोल भी नहीं सकते, वहां सात साल का एक बच्चा धारा प्रवाह संस्कृत में उपनिषद बोल लेता है, पढ़ लेता है, यही नहीं 194 देशों के राष्ट्रीय ध्वज की पहचान भी कर लेता है. हम बात कर रहे हैं, झालावाड़ के सात वर्ष के प्रणील की. प्रणील हिंदी-अंग्रेजी के साथ पांच भाषाएं न केवल जानता है, बल्कि लिख और पढ़ भी सकता है. साथ ही वह बिना सोचे 194 देशों के राष्ट्रीय ध्वज की पहचान भी कर लेता है. खास बात ये है कि इन देशों के साथ राज्यों की राजधानी के नाम भी याद हैं. प्रणील महज सवा तीन मिनट में 194 देशों के नाम बता देता है.


दो-तीन साल की उम्र में दिखाई दे गई थी प्रतिभा
कोटा रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले डॉ. प्रहलाद पीसी का बेटा प्रणील घर पर 2-3 साल की उम्र में ही अपनी बड़ी बहन सृष्टि के साथ पढ़ता था. जब वह तीन साल का था तो बहन के साथ पढ़ते हुए देशों के ध्वज बताने लगा. तब परिजनों को उसकी प्रतिभा का पता चला. समय के साथ प्रणील की प्रतिभा भी बढ़ती गई. वह हिंदी-अंग्रेजी के साथ संस्कृत, मराठी और कन्नड़ भाषा भी जानता है. वह इन भाषाओं में बात करने के साथ पढ़ भी लेता है. प्रणील संस्कृत में उपनिषद, भागवत गीता भी बिना रुके पढ़ लेता है.


कई भाषाओं का है ज्ञान 
प्रणील शिव ताडंव स्त्रोत, हरिकथा अमृतसार, मंगलाष्टक सहित कई मंत्र धाराप्रवाह बोलता है. प्रणील के पिता डॉ. प्रहलाद उद्यानिकी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर और मां नीलिमा निजी स्कूल में शिक्षिका है. माता पिता ने प्रणील की प्रतिभा देखकर उस पर अधिक ध्यान दिया. जब स्कूल भेजने का समय आया तो कोरोना आ गया. ऐसे में प्रणील की पढ़ाई भी घर पर ही चलती रही. वह अब तक हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत की कई किताबें पढ़ चुका है. नवरात्र में उसने श्रीमद् भागवत गीता भी पूरी पढ़ ली. प्रणील को अधिकांश पक्षियों के नाम, जूलॉजिकल नाम और पहचान भी याद है. प्रणील को भारत के साथ अमेरिका, अफ्रीका, चीन सहित अन्य देशों की और उनके प्रांतों की राजधानियों के नाम याद है. ये प्रतीभा देखकर परिवार के साथ क्षेत्र के लोग भी हतभ्रम रह जाते हैं.


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