Rajasthan Elections 2023: जनता जननायक पार्टी (Jannayak Janata Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ( Ajay Singh Chautala) ने  जयपुर में विप्र सेना के अध्यक्ष सुनील तिवारी (Sunil Tiwari) के घर पर बैठक की. जहां पर अजय सिंह चौटाला ने कहा कि राजस्थान में पहले ब्राह्मण कुम्भ कराते थे और जाट महापंचायत करते थे लेकिन अब यहां तो उल्टा हो रहा है. ब्राह्मण पंचायत कर रहे हैं और जाट कुम्भ करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) बड़ी विपरीत परिस्थितियों में होगा. जनता यहां पर दुखी है और वो बदलाव चाह रही है. अजय चौटाला ने पार्टी की रणनीतियों को लेकर एबीपी से खास बातचीत की. जानिए- इंटरव्यू में क्या बोले अजय चौटाला...


चौटाला ने कहा यहां पर हम एक विकल्प के तौर पर हैं. हम बीजेपी के पुराने सहयोगी रहे हैं. यहां पर हम पहले भी मिलकर चुनाव लड़ते रहे हैं. चौटाला ने कहा,'यहां पर मेरे लिए कुछ भी नया नहीं है. भैरों सिंह शेखावत दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री हमारी वजह से रहे हैं. हरियाणा की सरकार में बीजेपी हमारी सहयोगी रही है और आज वो बड़े दल हैं और सरकार में हम उनके साथ छोटे दल के रूप में काम कर रहे हैं.'


जाति की राजनीति नहीं करनी- चौटाला
चौटाला ने कहा कि सभी राजनीतिक दल का फर्ज है कि वे सभी जातियों का संतुलन बनाकर चलें. यह होना चाहिए. चौधरी देवी लाल की हमेशा यह नीति रही है कि जब भी उन्हें अवसर मिला उन्होंने सभी जातियों को आगे बढ़ाया. चाहे जिसकी जाति के लोग कम रहे हो या ज्यादा. देवी लाल ने सबको पहचान दिलाने का काम किया है. इसलिए राजस्थान में हम तो कांग्रेस को सत्ता से रवाना करने का काम करेंगे. इसीलिए, यहां संगठन का विस्तार किया जा रहा है.


अजय चौटाला ने आगे कहा, 'हम केवल जाट बाहुल्य क्षेत्रों में ही काम नहीं करते. हम जातिगत क्षेत्रों में सीमित नहीं रहे. जब हम यहां पर जनता दल के बैनर तले 55 सीटों पर जीते थे तब भी हम अलग क्षेत्रों और जातियों से विजय हासिल किए थे. चाहे हम 6 सीटों पर जीते तब भी उसमें अलग-अलग जातियों से जीत कर आए थे. दोबारा जब 6 सीट जीते तब भी अलग-अलग जाति से लोग जीत कर आए थे.



जो साथ आए उनका स्वागत है- अजय चौटाला
अजय चौटाला ने कहा कि यहां पर इस चुनाव में हमारे साथ जो लोग आएंगे हम सबका स्वागत करेंगे. उन्होंने बागियों के लिए अपने दरवाजे खुले होने के संकेत दिए हैं. आज प्रदेश की जनता सरकार से दुखी और परेशान है. ऐसे लोग चुनाव के नजदीक ही जाकर अपना फैसला देते हैं. यहां पर रोज 'सियासी ड्रामा' चल रहा है. यह तो सभी देख रहे हैं. यहां पर कैसे एक दूसरे के प्रति कटाक्ष और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल हो रहा है.


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