Jodhpur News: उम्मेद सागर बांध की 742.14 बीघा जमीन पीएचईडी को मिली, जल्द होगा अतिक्रमण हटाने का काम
Ummed Sagar Bandh: डीएम हिमांशु गुप्ता की अध्यक्षता में हुई जिला जन अभाव अभियोग एवं सतर्कता समिति की बैठक में पीएचईडी के अधीक्षण अभियंता द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ था.
Jodhpur News: बाड़मेर के 210 गांवों की 5 लाख की आबादी की प्यास बुझाने वाले उम्मेद सागर बांध की 742.14 बीघा जमीन का म्यूटेशन भरने के बाद अब पीएचईडी बांध की जमीन का मालिक बन गया है. डीएम की पहल पर हुए इस निर्णय से उम्मेद सागर बांध और कैचमेंट की जमीन पर हुए कब्जों और अतिक्रमण को हटाने का रास्ता साफ हो जाएगा.
जोधपुर को मिलेगा दूसरा बड़ा रिजर्व वायर
वहीं अब पीएचईडी जल्द ही बांध की जमीन का डिमार्केशन करवाकर कब्जे और अतिक्रमण हटाने का काम करे तो जोधपुर को कायलाना के 76% क्षमता जितना पानी रिजर्व करने के लिए दूसरा बड़ा रिजर्व वायर मिल जाएगा. ताकि भविष्य में क्लोजर के समय शहर में पीने के पानी को लेकर इस बार हुई तकलीफ दुबारा नहीं होगी. इस पूरे मामले पर गंभीरता दिखाते हुए जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने एडीएम थर्ड की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया था. कलेक्टर ने अब तक हुए कब्जों और अतिक्रमण की रिपोर्ट भी मांगी थी.
जमीन पीएचईडी के नाम दर्ज कराने के निर्देश
वहीं अतिक्रमण की बात पीएचईडी ने स्वीकार की थी. डीएम हिमांशु गुप्ता की अध्यक्षता में हुई जिला जन अभाव अभियोग एवं सतर्कता समिति की बैठक में पीएचईडी (परियोजना वृत) के अधीक्षण अभियंता द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ था. इस पर डीएम ने कृषि विभाग से जारी स्वीकृति की कॉपी प्राप्त कर उम्मेद सागर बांध की जमीन को पीएचईडी के नाम दर्ज करने के लिए तहसीलदार जोधपुर को निर्देश दिया था. इसके बाद बांध की जमीन पीएचईडी के नाम दर्ज करने की कार्रवाई शुरू हो पाई थी. इस मामले में गठित कमेटी के एडीएम थर्ड राजेंद्र डागा ने बताया कि बांध की जमीन को पीएचईडी के नाम दर्ज कर दी है, अब इसके आगे की कार्रवाई की जाएगी.
उम्मेद सागर होता तो जलसंकट से नहीं जूझता शहर
जोधपुर शहर में दो महीने के क्लोजर के दौरान लोगों को लंबे समय बाद जलसंकट से जूझना पड़ा. इसका बड़ा कारण था कि पानी सहेजने के लिए कोई रिजर्व वायर नहीं था. ऐसे में उम्मेद सागर बांध जीवित होता तो विकल्प के रूप में कायलाना के 76% जितना रिजर्व वायर मिलता, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण बांध की 53% जमीन पर कब्जे व अतिक्रमण हो चुके हैं. वहीं इसका पूरा कैचमेंट अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है. कायलाना की भराव क्षमता 355 एमसीएफटी है, जबकि उम्मेद सागर बांध की भराव क्षमता 270 एमसीएफटी है, जो कायलाना के 76% जितनी है. यही नहीं, जसवंत सागर बांध से भी यह बांध पांच गुणा बड़ा है.
बांध के अस्तित्व को बचाने संस्था भी आगे आई
उम्मेद सागर बांध में हुए कब्जे और अतिक्रमण को हटाने की मुहिम के तहत मारवाड़ जागरण मंच भी आगे आ चुका है. मंच के अध्यक्ष डॉ. गजेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का एक दल बांध का जायजा लेकर ऐतिहासिक धरोहर उम्मेद सागर बांध के खोते मूल स्वरूप पर चिंता जता चुका है. मंच के आह्वान पर ही पूर्व केंद्रीय मंत्री और पाली से सांसद पीपी चौधरी और राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने बांध के खोते अस्तित्व को लेकर आवाज उठाई थी.
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