Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान (West Rajasthan) में उगने वाली कैर-सांगरी (Ker-Sangri) देश-दुनिया में सूखी सब्जियों के तौर पर खास पहचान रखी है. कैर-सांगरी की विशेषता यह है कि इसका पूरा उत्पादन प्राकृतिक रूप से होता है. कैर-सांगरी दोनों की बुवाई नहीं होती है. यह स्वत: ही पैदा होने के कारण किसी औषधि से भी कम नहीं है. एक समय था जब कैर-सांगरी गांवों तक ही सीमित रहती थी, लेकिन आज दुनिया के कोने कोने तक पहुंंच गई है. बेहतरीन स्वाद और खासकर पूरी तरह प्राकृतिक रूप से पैदावार के कारण लोगों के लिए सांगरी के साथ कैर भी पहली पसंद बन चुकी है.

 

यही कारण है कि आज जितनी डिमांड स्थानीय स्तर पर नहीं है, उससे ज्यादा दूसरे प्रदेशों और विदेशों तक है. ई-कॉमर्स कंपनियों के चलते ऑनलाइन बाजार में कैर-सांगरी आ जाने से इसको पसंद करने वाले आसानी से कहीं पर कोई भी मंगवा सकता है, जो सीधे डोर स्टेप पर पहुंचाई जाती है. रेगिस्तान में गर्मी जब बढ़ती है और तापमान 40 डिग्री के ऊपर आता है, उसके बाद खेतों में खेजड़ी पर सांगरी आना शुरू हो जाती है. इसी तरह तेज गर्मी में कैर का उत्पादन बढ़ता है. सांगरी, कैर और कुमट की ग्रामीण क्षेत्रों में बहार होती है, जब तापमान 40-42 डिग्री के बीच पहुंच जाता है.



 

2500 रुपये प्रति किलो तक है कैर-सांगरी की कीमत

 

पश्चिमी राजस्थान में गर्मी में इसकी पैदावार होती है. ऐसे में इस क्षेत्र में जब सांगरी कच्ची होती है तो स्थानीय स्तर पर कीमत 100-120 रुपये प्रति किलो तक होती है. वहीं कैर स्थानीय बाजार में 180-200 रुपये प्रति किलो में मिलती है. सूखने पर पैदावार वाले क्षेत्र में ही कैर-सांगरी की कीमत करीब 5 गुणा तक बढ़ जाती है, जबकि दूसरे राज्यों में 1700-1800 रुपये प्रति किलो पर बिकते हैं. ऑनलाइन कैर-सांगरी की कीमत 2200-2500 रुपये प्रति किलो तक है. कैर-सांगरी में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होता है. यह एंटीऑक्सीडेंट भी है. स्वाद के साथ जो रोग प्रतिरोधकता बढ़ाती है. कैर के डंठल से चूर्ण भी बनता है, जो कफ और खांसी में काम आता है.

 

ऐसे बढ़ते जाते हैं कैर-सांगरी के दाम


  • कच्चे कैर-सांगरी 180-200 रुपये प्रति किलो

  • स्थानीय बाजार में 1200-1400 रुपये प्रति किलो सूखे कैर-सांगरी

  • दूसरे प्रदेशों में 1700-1800 रुपये प्रति किलो है दाम

  • कोलकाता के बाजार में 1800-2000 रुपये किलो मिल रही सूखी सांगरी

  • ऑनलाइन 2200-2500 रुपये किलो के भाव से बिक्री



खाद और दवा का नहीं होता प्रयोग


कैर-सांगरी वैसे तो राजस्थान में सीजन में आते हैं, तब इनकी सब्जी और अचार बनाया जाता है. वहीं कैर-सांगरी जब सूख जाते हैं, इसके बाद बनने वाली सब्जी ज्यादा स्वादिष्ट होने के कारण पसंद की जाती है. सूखे कैर-सांगरी की सब्जी कभी भी बनाई जा सकती है. खासकर बड़े आयोजन में पंचकूटा की सब्जी में मुख्यत: कैर-सांगरी ही होती है. यह विशेषकर राजस्थान में ज्यादा प्रचलन में है. सांगरी और कैर का उत्पादन प्राकृतिक रूप से होता है. इसके लिए किसी तरह की खेती नहीं करनी पड़ती है. खेजड़ी पर सांगरी लगती और झाड़ पर कैर लगते हैं. इसमें किसी तरह की खाद और दवा का प्रयोग नहीं होने से यह सब्जी पूरी तरह से शुद्ध होती है.

 

ये भी पढ़ें-