Kota News: राजस्थान में कई बांध बनाए जाने वाले हैं और बांधों पर कार्य तेजी से चल रहा है. राजस्थान ही नहीं मध्यप्रदेश के पानी को भी सहजकर रखे जाने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है. ईआरसीपी (ERCP) योजना के तहत जहां काम हो रहे हैं, वहीं कई ओर प्रोजेक्ट भी राजस्थान में पानी को लेकर नई क्रांति लाने वाले हैं. वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के शासन में पहला बैराज स्वीकृत हो गया था, जिसका निर्माण जारी है. यह कोटा जिले में कालीसिंध नदी पर स्थित नौनेरा बैराज है. 


इस नौनेरा बैराज के अलावा इसी प्रोजेक्ट से जुड़े दो अन्य बैराज का भी निर्माण जल्दी ही हाड़ौती में शुरू हो जाएगा, जिसके बाद पानी का स्टोरेज होगा जो खेती के साथ घरो तक भी पीने के लिए पहुंचाया जाएगा. ये बांध लाखों लोगों की प्यास बुझाएंगे वहीं खेती में सालभर पानी उपलब्ध हो सकेगा. बारां जिले से इसकी शुरुआत होगी. 


रामगढ़ में कूल नदी पर बनेगा पहला बांध
बारां जिले की किशनगंज पंचायत समिति के रामगढ़ में पहला बांध कूल नदी पर बनने वाला है. इससे 7 किलोमीटर की दूरी पर दूसरा बांध पार्वती नदी पर महलपुर बनेगा. इस पानी को यहां से 167 किलोमीटर दूर टोंक जिले के बीसलपुर और ईसरदा ले जाया जाएगा. बताया जा रहा है कि एक बांध को दूसरे से जोड़ने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है. इसके साथ ही एक बैराज से दूसरे और उसके बाद अन्य से जोडकर पानी को बीसलपुर और ईसरदा पहुंचाया जाएगा. इसमें ग्रेविटी चैनल एस्कैप, ग्रेविटी फीडर, कैनाल सुरंग और पानी की पुलिया का उपयोग लिया जाएगा. साथ ही पानी को कई जगह पर लिफ्ट करके भी नहरों में डाला जाएगा.


1316 करोड़ रुपए में बन रहा नौनेरा बांध 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2022 के बजट घोषणा में एनजीबीआई की घोषणा की थी. इसमें नौनेरा, गलवा, बीसलपुर और ईसरदा लिंक परियोजना शामिल हैं. इसमें 6464 करोड़ रुपए का खर्चा होना है. इसी के तहत 1316 करोड़ रुपए में नौनेरा बैराज बन रहा है. इसकी पानी स्टोरेज की क्षमता 227 मिलियन क्यूबिक मीटर की है. इसी तरह से ईसरदा में भी 400 करोड़ से डैम का निर्माण करवाया जा रहा है, जबकि ईआरसीपी के तहत ही बारां में किशनगंज के रामगढ़ में कूल नदी और मांगरोल में पार्वती नदी पर महलपुर बैराज बनाए जा रहे हैं. इनके लिए डीपीआर तैयार हो गई है. साथ ही निर्माण भी इसी साल शुरू होने की उम्मीद है, क्योंकि इनकी टेंडरिंग का प्रोसेस चल रहा है. 


इसका कार्य शुरू होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब यह पूरा होगा तो किस हद तक राजस्थान में जल जीवन बन जाएगा. वर्तमान में हाड़ौती का सबसे बड़ा बैराज चंबल नदी पर बना कोटा बैराज है, जिसकी क्षमता 112 मिलियन क्यूबिक मीटर है. इसके बाद दूसरे नंबर पर बूंदी का जवाहर सागर बांध 67 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता के साथ है. अब हाड़ौती में 2 बांधों का निर्माण हो रहा है, जबकि दो का निर्माण जल्द ही शुरू होने वाला है. ऐसे में सबसे बड़ा बांध सिंचाई लिफ्ट योजना का बांध है, जिसकी क्षमता 400 मिलियन क्यूबिक मीटर है. इसका निर्माण भी अंतिम चरण में है और शीघ्र पूरा होने जा रहा है.


महलपुर बिराज की क्षमता 258 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी 
ईआरसीपी के जनरल मैनेजर पीके गुप्ता का कहना है कि नौनेरा बैराज का निर्माण चल रहा है, जिसकी क्षमता 226 मिलियन क्यूबिक मीटर है. प्रस्तावित बांधों में पार्वती नदी पर बनने वाले महलपुर बिराज की क्षमता 258 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी और इसी तरह से कूल नदी के रामगढ़ बैराज की क्षमता 45 मिलियन क्यूबिक मीटर है. ऐसे में महलपुर बांध हाड़ौती का दूसरा सबसे बड़ा बांध बनने वाला है. यह ईआरसीपी परियोजना का हिस्सा है. कूल नदी के रामगढ बैराज, पार्वती नदी के महलपुर, नोनेरा बांध पर कालीसिंध से लिफ्ट किया जाएगा और मेज नदी पर भी बांध बनना प्रस्तावित है, यह सभी नदियां आपस में जुड जाएंगी तो जल के क्षेत्र में बडी क्रांति आने वाली है. 


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