Kota: कोटा संभाग में 385 लाख हेक्टेयर में हुई सरसों की बुवाई, दाम अधिक मिलने से बढ़ा किसानों का रुझान
कोटा संभाग में किसानों के द्वारा खेतों में फसलें बोई जा चुकी हैं. किसान सरसों, गेहूं, चने आदि की फसल की बुवाई कर चुके हैं. अब किसानों के सामने फसल को जंगली जानवरों से बचाने की चिंता रहेगी.
Rajasthan News: मौसम अनुकूल रहने से इस बार कोटा (Kota) संभाग और आसपास के क्षेत्र में अच्छी फसलों की उम्मीद जताई जा रही है, यदि ओलावृष्टि और आपदा नहीं आई तो इस साल किसानों के चेहरे पर मुस्कान दिखाई देगी. कोटा संभाग में इस बार सरसों की बंपर पैदावार होने वाली है. किसानों ने गेहूं से ज्यादा सरसों की बुवाई की है. वहीं कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामवतार शर्मा ने बताया कि कोटा संभाग में इस बार 385 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई पूरी हो चुकी है. इसके और भी अधिक बढ़ने की संभावना है.
वहीं 165 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है. वहीं 1 लाख 28 हजार हेक्टेयर में चना, 48 हजार में लहसून की खेती की गई है. बताया जा रहा है कि इस बार सरसों के भाव अधिक रहने वाले हैं, जिस कारण किसानों ने सरसों की खेती की तरफ रुझान दिखाया है. कोटा संभाग के खेती वाले क्षेत्र में किसानों के द्वारा खेतों में फसलें बोई जा चुकी हैं. किसान सरसों, गेहूं, चने आदि की फसल की बुवाई कर चुके हैं. अब किसानों के सामने फसल को जंगली जानवरों से बचाने की चिंता रहेगी. बुआई के बाद से ही जंगली जानवर खेतों में आकर फसलों को बार्बद कर जाते हैं, जिसके चलते फसलें नष्ट होने का खतरा बना रहता है.
किसानों को जंगली जानवरों से फसल बचाने की चिंता
अपनी फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए किसान सुबह से शाम तक खेतों में दौड़ लगाते रहते हैं. इसके बाद भी रात्रि में हाड़कंपा देने वाली सर्दी में भी एक हाथ में डंडा तो एक हाथ में टॉर्च लेकर रात भर जागकर अपनी फसल की रखवाली करने में लगे हुए रहते हैं. वहीं जंगली जानवरों से डर के कारण अपने खेतों में मचान बनाकर उनसे अपनी फसलों की रखवाली करने में लगे हुए हैं.
रात भर किसान जंगली जानवरों को भगाने के लिए अलग-अलग प्रयत्न करते रहते हैं. कई किसान तो आग जलाकर जंगली जानवरों को दूर भगाते हैं. कई किसान टॉर्च की रोशनी से तो कई पटाखों की आवाजों से जानवरों को डराने का प्रयास करते हैं और अपनी फसल को बचाने के लिए उन्हें खेतों से दूर भगाते हैं.
किसानों पर भी हमला कर देते हैं जंगली जानवर
किसानों का कहना है कि कई बार जंगली जानवर किसानों पर भी हमला कर चुके हैं लेकिन इस ओर वन विभाग प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. वन विभाग के द्वारा जंगली जानवरों को रोकने के कोई प्रयास नहीं किए जाते हैं जिसके चलते किसानों को कई बार आर्थिक और शारीरिक नुकसान उठाना पड़ चुका है. किसानों ने जंगली जानवरों से फसलों की रक्षा करने के लिए प्रशासन से अपील की है.
इस बार लोगों ने अक्टूबर के बाद भी सरसों की बुवाई की है, जबकि 15 अक्टूबर के बाद चने की बुवाई करना फसल के लिए लाभदायक होता है. सरसों के भाव अच्छे मिलने और चने की तुलना में कम मेहनत होने के कारण लोगों का रुझान सरसों की ओर बढ़ा है. इस साल अच्छी बारिश होने से जिले में करीब सभी बांधों वह तालाब में पानी भरा हुआ है. इससे वाटर लेवल काफी ऊपर आ गया है.
अच्छी बरसात से नदी तालाब लबालब
सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता के कारण इस बार अच्छी फसल होने की उम्मीद है. किसान हर बार मेहनत तो करते हैं लेकिन फसल का मूल्य उसे मिल नहीं पाता कभी दाम कम हो जाते हैं तो कभी फसल खराब हो जाती है, लेकिन इस बार किसानों को काफी उम्मीद है. भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री जगदीश कलमंडा ने बताया कि इस बार फसल अच्छी रहने की उम्मीद है. सब कुछ ठीक चल रहा है, बस यूरिया की किल्लत खत्म हो जाए और समय पर यूरिया मिल जाए तो सोने पर सुहागा हो जाएगा.
समय रहते पर्याप्त यूरिया मिला तो सोने पर सुहागा
सरसों खेतों में खड़ी है, उसके 20-25 दिन बाद गेहूं को भी यूरिया की आवश्यकता होगी, लेकिन अभी कोटा संभाग में जगह-जगह यूरिया की किल्लत हो रही है, कालाबाजारी हो रही है. राजस्थान का यूरिया एमपी तक चला जाता है. ऐसे में सरकार को सहकारी समितियों के माध्यम से ही यूरिया को देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कोटा संभाग में 3 लाख 10 हजार बोरी यूरिया की आवश्यकता है, जबकि अभी केवल 1 लाख 32 हजार बोरी ही यूरिया आया है. प्रति बीघा में कम से कम एक बोरी यूरिया की खपत रहती है, ऐसे में एक किसान को उसकी खेती की तुलना में कम यूरिया दिया जा रहा है. सरकार को चाहिए की वह जल्द ही खाद की किल्लत को दूर करें.