Kota News: स्टूडेंट सुसाइड के आंकड़े चिंताजनक, एक महीने में आठ छात्रों ने की आत्महत्या, जिला प्रशासन अलर्ट
Kota Student Suicide: राजस्थान के कोटा में बीते एक महीने में 8 बच्चों के आत्महत्या की खबर है. सभी सुसाइड केसेस में डिप्रेशन को कारण बताया जा रहा है. मृतक बच्चे यूपी, एमपी और बिहार के बताए जा रहे हैं.
Rajasthan News: राजस्थान की शैक्षणिक नगरी कोटा में वर्ष 2022 जाते जाते कई जख्म देकर जा रहा है. एक ही दिन में तीन बच्चों की मौत ने प्रशासन को सकते में ला दिया है. पुलिस प्रशासन के साथ जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है. मौत का कारण भले ही डिप्रेशन रहा हो, लेकिन ये डिप्रेशन कई तरह से हो सकता है. शिक्षा के साथ लव अफेयर भी इनकी मौत का कारण माना जाता है, लेकिन पिछले 30 दिनों में 8 बच्चों की मौत होना कहीं ना कहीं लापरवाही माना जा रहा है. चाहे लापरवाही अभिभावक की हो, कोचिंग संस्थान की हो या प्रशासन की हो सभी के लिए बच्चों की जान जाना दुखद है.
एक महीने में आठ बच्चों की हुई मौत
कोटा में एक माह में 8 छात्र स्टूडेंट की मौत हो चुकी है. जिसमें कृष्णकांत (17 वर्ष) निवासी आगरा, नैतिक सोनी (19) निवासी सागर एमपी, रवि मेहरान (19) निवासी बिहार, सिद्धार्थ सिंह (18) निवासी उत्तराखंड, काम्या सिंह (19) निवासी शक्ति नगर किशोरपुरा, प्रणव वर्मा (17) निवासी शिवपुरी मध्य प्रदेश, अंकुश आनंद (17) निवासी बिहार और उज्जवल कुमार (18) निवासी बिहार की मौत हो चुकी है. वहीं वर्ष 2022 में अब तक 20 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य सालों में ये आंकड़ एवरेज 12 से 15 रहता है, लेकिन इस बार अधिक बच्चों की मौत हुई है जो चिंता का कारण है.
सुसाइड के मल्टीपल कारण होते हैं
वहीं इस मामले में चिकित्सकों का कहना है कि सुसाइड एक मानसिक बीमारी है. इसके मल्टीपल कारण होते हैं. विपरीत परिस्थिति होने के कारण ही कोई आत्महत्या जैसा कदम उठाता है. ऐसे में वह व्यक्ति शुरुआती तौर पर बाहर निकलना चाहता है, लेकिन नेगेटिविटी के चलते वह बाहर नहीं निकल पाता. वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. एमएल अग्रवाल ने बताया कि आत्महत्या के कदम अक्सर लोग पढ़ाई, प्रेम, असफलता, धोखा खाने की स्थिति में उठाते हैं.
स्टूडेंट माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाते हैं, पढ़ाई का बोझ सहन नहीं कर पाते हैं, कोचिंग में काउंसलिंग के लिए साइकोलॉजिस्ट होना चाहिए. जो ऐसे लोगों को उनकी गतिविधियों से भांपकर काउंसलिंग कर उन्हें समय-समय पर इलाज उपलब्ध करवा सकें. इससे उन्हें बचाया जा सकता है वहीं दूसरी ओर लव अफेयर्स भी कई बार सामने आते हैं. ऐसी उम्र में बच्चा जब घर से बाहर निकलता है और उसे खुशनुमा माहौल दिखता है.
किसी की रोक-टोक नहीं होती तो वह जल्दी प्रभावित होता है और पढ़ाई से दूर होता जाता है और लव अफेयर में पढ़कर कोई गलती कर बैठता है. जिस कारण भी वह डिप्रेशन में चला जाता है और आत्महत्या करता है. बच्चे पर किसी भी तरह का दबाव नहीं होना चाहिए, यदि माता पिता को पता हो की बच्चा अच्छा नहीं कर रहा तो उस पर पढाई का दबाव नहीं बनाना चाहिए.