(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan: कोर्ट के चक्कर काटते गुजर गई जवानी, 71 साल बाद न्याय मिलने पर ये रही शख्स की प्रतिक्रिया
राजस्थान के दो लोगों को अपनी जमीन का हक़ पाने के लिए 71 वर्ष तक इंतेजार करना पड़ा. जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट रेणु जयपाल के फैसले के बाद पक्षकारों की आँखें भर आयीं. यह भूमि उन्हें 1951 में मिली थी.
Rajasthan News: सालों से न्याय की आस लिए अदालतों के चक्कर काटकर जवानी से बुढ़ापा ढल गया, परिवादियों (Complainants) के लिए जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट रेणु जयपाल के एक फैसले ने उनकी किस्मत बदल दी. जिस न्याय की आस में परिवादी ने 71 वर्ष इंतजार किया, उस फैसले की घड़ी शनिवार को आई. इस मामले में जब जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट रेणु जयपाल ने ग्राम रेबारपुरा के खातेदारों को 71 साल बाद खातेदारी अधिकार प्रदान किया, तो उनकी आंखें भर आईं.
गावं रेबारपुरा निवासी फतेह लाल और कन्हैयालाल को 1951 में 20 बीघा भूमि आवंटित हुई थी. उसी समय उन्हें कुआं खोदने की अनुमति भी प्रदान की गई थी. उन्होंने जमीन में कुआं खुदवाया और जमीन को खेती योग्य बना दिया. जब उक्त खातेदारों को नियमानुसार खातेदारी अधिकार नहीं मिला, तो उन्होंने 20 साल बाद अधिवक्ता सोहन लाल जैन के माध्यम से 1970 में खातेदारी अधिकार प्राप्त करने के लिए सहायक कलेक्टर बूंदी न्यायालय में वाद (Litigation) दिया.
वह वाद 14 दिसम्बर 1972 को न्यायालय ने खातेदारी अधिकार देने के आदेश के साथ डिक्री (Decree) कर दिया. खातेदारों ने 1973 में उक्त आदेश की पालना लिए इजराय (अमलदरामद) पेश की थी. तहसीलदार के. पाटन ने उक्त इजराय की पालना में 5 फरवरी 1977 को नामांतरकरण (Renaming) गलत कर दिया. जबकि खातेदार इस विश्वास में रह गए की वह खातेदार दर्ज हो चुके हैं, क्योंकि 2010 में पटवारी ने जमाबंदी की नकल दी उसमें वह खातेदार दर्ज थे.
मुआवजा लेने की बारी आई तो पता लगा की अभी तक भी नहीं मिली खातेदारी
लेकिन 2016 में खेती में नुकसान का मुआवजा प्राप्त करने के लिए खातेदारों ने नकल प्राप्त की तो नकल में खातेदारों को गैर खातेदार दर्शाया रखा था. खातेदारों ने तहसील कार्यालयों में ,शिविरों में कई जगहों पर जाकर उस गलती को सुधारने के लिए प्रार्थना पत्र दिए. लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने दुबारा से 2016 में सोहनलाल जैन एवं एडवोकेट अनुराग शर्मा के माध्यम से उक्त विवादित नामांतरण की अपील जिला कलेक्टर न्यायालय में प्रस्तुत की. जिला कलेक्टर न्यायालय ने नामांतरण की पत्रावली को तलब करने के लिए तहसील केशोरायपाटन और तहसील इंद्रगढ़ दोनों जगह कई तहरीरें भेजी, लेकिन नामांतरकरण की रजिस्टर जिला कलेक्टर न्यायालय में नहीं भेजी गई. इस दौरान कई कलेक्टरों का इस पद पर कार्यकाल निकलता रहा, इसके बाद जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने फाइल पर मौजूद दस्तावेजों को जांच करके आदेश दिया कि यह जमीन खातेदारों के नाम से दर्ज की जाए. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ग्राम रेबारपुरा के पाटन तहसील से इंद्रगढ तहसील में शामिल हो गया था.
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