Rajasthan News: पिछले कई सालों में राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) के कई बड़े चेहरों पर आलाकमान ने भरोसा किया और उन्हें जिम्मेदारी दी, लेकिन रिकॉर्ड देखा जाए तो वो कहीं न कहीं भरोसे पर खड़े नजर नहीं आए. पंजाब, गुजरात, असम और यूपी इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिख रहा है.
वहीं हिमाचल में जीत ने आलाकमान को 'खुश' भी किया है. पंजाब, गुजरात, यूपी और असम में मिली करारी हार ने कई सवाल खड़े कर दिए. गुजरात प्रभारी रहे रघु शर्मा ने इस्तीफा भी दे दिया है. पंजाब से तो कांग्रेस की मजबूत सरकार ही चली गई. यूपी में तो मात्र दो सीट आई.
गुजरात में हार का पूरा रिकॉर्ड टूट गया
गुजरात में कांग्रेस की अबतक की सबसे बड़ी हार है. इस हार से कांग्रेस आलाकमान भी अचम्भित है. सूत्रों की माने तो नाराजगी का अंदाजा लग गया था, इसीलिए बिना देर किये रघु शर्मा ने इस्तीफ़ा भी दे दिया है. रघु शर्मा को एक साल पहले गुजरात की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. चूंकि, भाजपा ने भी राजस्थान के कई बड़े नेताओं को गुजरात में लगाया था तो कांग्रेस ने रघु शर्मा को मैदान में उतार दिया था.आलाकमान का जीत का सपना टूटा और भरोषा चकनाचूर हो गया है.कांग्रेस गुजरात में पहली बार अपने सबसे दौर से गुजर रही है.
पंजाब से चली गई सरकार
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी को साल 2021 में पंजाब का प्रभारी बनाया गया था. इनसे उम्मीद थी की कम से कम सरकार की वापसी करवा देंगे. क्योंकि हरीश रावत ने प्रभारी का पद छोड़ दिया था. हरीश चौधरी को पंजाब कांग्रेस प्रभारी बनाने के पीछे बड़ी दलील थी कि राजस्थान की सीमा से सटी पंजाब की विधानसभा सीटों पर पार्टी को इसका फायदा मिलेगा. कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू मामले में भी पार्टी ने हरीश चौधरी को पर्यवेक्षक बना कर पंजाब भेजा था, लेकिन पंजाब में कांग्रेस की सरकार गई और सबसे खराब प्रदर्शन भी दिखा.
असम में उम्मीद पर फिरा था पानी
दो साल पहले असम के लिए कांग्रेस ने राजस्थान अलवर के पूर्व सांसद भंवर जितेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया था. असम में प्रभारी बनाने के लिए रणनीति यह थी कि यहां बड़ी संख्या में मारवाड़ी बिजनेस करते हैं. अलवर से आने वाले श्रम मंत्री टीकाराम जूली, रामगढ़ विधायक साफिया खान सहित राजस्थान के कई कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने असम में चुनाव प्रचार किया था.लेकिन कांग्रेस को कोई फायदा नहीं रहा. पार्टी को नुकसान हुआ. यहां भी जितेंद्र सिंह ने आलाकमान को दुखी किया था. इसके पहले जितेंद्र सिंह हिमाचल के भी प्रभारी रहे हैं. उस दौरान भी कांग्रेस बुरी तरह से हार गई थी.
यूपी में दो सीट पर सिमट गई कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक धीरज गुर्जर को यूपी विधान सभा चुनाव 2022 के लिए सहप्रभारी बनाया गया था. उन्होंने खूब दौड़ भी लगाई थी लेकिन कांग्रेस ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और मात्र दो सीट पर सिमट गई. कांग्रेस को इससे ज्यादा नुकसान कभी नहीं हुआ. अब धीरज को राजस्थान में बड़ी जिम्मेदारी दी है. यूपी में धीरज प्रमुख भूमिका में हैं.
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