(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lemon Price Hike: बाजार में नींबू की डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम, उदयपुर में भाव पहुंचा 200 रुपए प्रति किलो
Lemon Price Hike: तीन साल पहले आए चक्रवात का दंश अभी तक नींबू व्यापारी भुगत रहे हैं. शादियों के मौसम, गर्मी और रमजान में नींबू की खपत बढ़ जाती है. 60-70 रुपए किलो बिकने वाला नींबू 200 में मिल रहा है.
Lemon Rate Hike: महंगाई के दौर में नींबू ने भी लंबी छलांग लगा दी है. उदयपुर में नींबू का भाव 200 रुपए प्रति किलो पहुंच गया है. नींबू की सबसे ज्यादा डिमांड गर्मियों में होती है. जानकारों का कहना है कि बाजार में नींबू का भाव एक हफ्ते के दौरान बढ़ा है. फल सब्जी मंडी के व्यापारी मुकेश खिलवानी ने बताया कि बाजार में नींबू नहीं है. स्थानीय नींबू की आवक शून्य हो गई है. गुजरात के भावनगर से आने वाला नींबू नाम मात्र है. उनका कहना है कि बाजार में खपत के हिसाब से नींबू की सप्लाई नहीं हो रही है. करीब एक माह पहले 60-70 रुपए किलो भाव पर नींबू मिला करता था. अब नींबू पर महंगाई की मार तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है.
..अब नींबू पर महंगाई की मार
नींबू की बढ़ी कीमत ने गर्मी में लोगों को चिंतित कर दिया है. लोगों के सामने 200 रुपए किलो नींबू खरीदने की चुनौती है. सबसे बड़ी बात कि शादियों का सीजन भी चल रहा है. शादी समारोह में नींबू की ज्यादा बिक्री होती है. गर्मी के मौसम में शिकंजी से लोग प्यास बुझाते हैं. व्यापारी मुकेश खिलवानी ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ नींबू की किल्लत भी हो सकती है. अनुमान है कि 2-3 माह तक नींबू के दाम में कमी नहीं आनेवाली है. सामान्य तौर पर नींबू का भाव 60-70 रुपए किलो होता है. लेकिन दाम में करीब 5 गुना बढ़ोतरी का अनुमान है. नींबू का भाव 300 रुपए किलो तक पहुंच सकता है. रमजान में नींबू की खपत बढ़ने के साथ भाव भी बढ़ेगा.
जानिए कितना हो गया भाव?
व्यापारी मुकेश खिलवानी ने बताया कि नींबू पर महंगाई की मार का सबसे बड़ा कारण एक ही है. तीन साल पहले तेज चक्रवात आया था. कई जगह नींबू के पेड़ गिरे थे. गुजरात में भी नींबू के पेड़ को नुकसान हुआ था. सबसे बड़ा नींबू का निर्यातक एरिया गुजरात के भावनगर में 80 फीसद पेड़ तूफान की चपेट में आए थे. नींबू के पेड़ बड़े होने और फसल देने में समय लेते हैं. नींबू की फसल नष्ट होने से आवक कम होती गई और खपत बढ़ती गई. इसलिए नींबू के भाव आसमान छूने लगे. दाम बढ़ने के पीछे मौसम से जुड़े अन्य कुछ कारण भी हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण चक्रवात तूफान है.