Sant Sammelan In Beawar: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर्व से पहले राजस्थान (Rajasthan) की धार्मिक नगरी ब्यावर (Beawar) में मिनी महाकुंभ का नजारा दिखाई दिया. यहां शिव विवाह महोत्सव समिति ने आशापुरा माता मंदिर परिसर में संत सम्मेलन का आयोजन किया. महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज के सानिध्य में देशभर से आए संत-महात्माओं ने आशीर्वचन प्रदान किए.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन प्रयागराज के महंत महेश्वरदास महाराज ने कहा कि जीवन और मृत्यु की यात्रा तब तक जारी रहेगी जब तक ईश्वर नहीं मिल जाता. भारतीय संस्कृति प्रतीकों पर आधारित है और वर्तमान में इन प्रतीकों पर आघात किया जा रहा है. संत और शास्त्रों को निशाना बनाया जा रहा है. जातिवाद हमारे सनातन धर्म को कमजोर कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे देश की नारियों ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया. हर हिंदू का दायित्व है कि सनातन धर्म की रक्षा करें. धर्म और संस्कृति का पालन करें. संत और संस्कृति के प्रति आस्था रखें.
धर्म सिर्फ एक सनातन
महामंडलेश्वर रूपेंद्रप्रकाश महाराज ने कहा कि कलयुग के प्रभाव से बचाने के लिए नई पीढ़ी को धर्म का ज्ञान देना आवश्यक है. धर्म सिर्फ एक सनातन है. इसके अलावा पंथ, मत, संप्रदाय है. राजस्थान शौर्य और वीरों की भूमि है. यहां धर्म की रक्षा के लिए माताओं ने बलिदान दिया है. महामंडलेश्वर प्रबोधानंद महाराज ने कहा कि संसार में मानव जीवन दुर्लभ है. धरती पर मानव जीवन में जन्म लेकर भी प्रभु की भक्ति नहीं की तो जीवन व्यर्थ है. परमात्मा की प्राप्ति के गुरु आवश्यक है. जहां संत आ जाते हैं वहां मंगल हो जाता है. वहां हर काम सफल हो जाता है. महंत दिव्यांबर मुनि ने कहा कि संत समागम भगवान की कथा के समान है. पुण्य उदय होने पर ही प्रभु नाम जाप और संत दर्शन संभव होता है. महामंडलेश्वर हंसराज महाराज, साध्वी मानस चकोरी, पंडित छविनाथ दुबे, स्वामी शिवचरणदास ने भी विचार व्यक्त किए.
संतों का किया स्वागत
आयोजन समिति अध्यक्ष शंकरलाल प्रजापति, मंत्री राजेश शर्मा, उपाध्यक्ष राजेंद्र ओस्तवाल, कोषाध्यक्ष सुरेशचंद लोढ़ा, संयोजक मनीष रांका, रामकिशोर चौहान, राजेश प्रजापति ने संतों का स्वागत कर स्मृति चिन्ह भेंट किया. साध्वी किशोरीजी, साध्वी प्रभा मुनि, संत नामदेव, विष्णु चतुर्वेदी ने भजनों की प्रस्तुति दी. धर्म सम्मेलन में महंत कृष्णा मुनि, संत सर्वज्ञ मुनि, संत केवलराम रामस्नेही, महंत विष्णुदास, महंत रमैयाराम, महंत रामकृष्णदास, महंत नरेश पुरी, प्रेमदास, रघुवीरदास, शिवचंद्रदास, गोविंददास, गोमतीदास, सुबोध मुनि, जमनादास, सूरज मुनि समेत कई संत और हजारों श्रद्धालु शामिल हुए.
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