Kota News: पार्षद की दबंगाई से तंग आकर थाने में पेट्रोल डालकर आग लगाने वाले राधेश्याम की इलाज के दौरान मौत हो गई. मौत की सूचना से लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया. करीब 60 प्रतिशत झुलसी हालत में राधेश्याम को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया था. उससे पहले कोटा से उन्हें जयपुर रेफर किया गया था. इस मामले में पहले ही नयापुरा थाने के सीआई को लाइन हाजिर कर दिया जबकी जांच अधिकारी व ड्यूटी ऑफिसर को निलंबित किया जा चुका है. 15 सितंबर को को राधेश्याम मीणा ने खुद को नयापुरा थाने में लगाई थी.
ये था मामला
दरअसल पीड़ित राधेश्याम की बेटी 9वीं कक्षा में पढ़ती है. उसने स्कॉलरशिप का फॉर्म भरा था. जिसमें डाक्यूमेंट्स लगाने थे. डाक्यूमेंट्स ले जाने के बाद भी स्कूल वाले जमा नहीं कर रहे थे. क्योंकि उसके पास आठवीं की मार्कशीट नहीं थी. इसी सिलसिले में बात करने राधेश्याम स्कूल गया था. राधेश्याम ने जाकर कहा था कि अभी आठवीं की मार्कशीट नहीं आई है. रोल नंबर बता दें ऑनलाइन निकलवा लूंगा. इसी बात को लेकर टीचर व राधेश्याम के बीच थोड़ी बहस हुई थी. हालांकि की कुछ देर बाद आपसी सहमति से मामला शांत हो गया था.
इसके बाद राधेश्याम ने वार्ड के व्हाट्सएप ग्रुप पर कमेंट डाला और स्थानीय पार्षद हरिओम सुमन के बारें में कमेंट पोस्ट किया था. इसके बाद विवाद बढ़ा और दोनों के बीच झगड़ा हुआ. पार्षद ने राधेश्याम के साथ मारपीट की जिसकी शिकायत थाने पर दी गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद उसने थाने में आग लगा ली.
लोगों में आक्रोश, पुलिस व प्रशासन के खिलाफ गुस्सा
कोटा में राधेश्याम द्वारा आग लगाने के बाद से ही आक्रोश था, ऐसे में बीजेपी के विधायक व पूर्व विधायक ने अच्छा इलाज मिले इस बात को प्राथमिकता दी थी, लेकिन राधेश्याम को नहीं बचाया जा सका. लोगों में पुलिस प्रशासन के खिलाफ गहरा आक्रोश है, थाने के बाहर धरने प्रदर्शन भी हुए हैं. ऐसे में अब राधेश्याम की मौत के बाद फिर पुलिस प्रशासन के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है.
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