Rajasthan News: उदयपुर शहर में माखनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में हजारों की संख्या में युवकों की भीड़ जमा हुई. वहीं शहर में इसकी फोटो वायरल हुई तो किसी ने कहा कक वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल की भीड़ है, तो किसी ने कहा यूनिवर्सिटी में फीफा वर्ल्ड कप के लिए बड़ा पर्दा लगाया गया है. वहीं बाद में सामने आया कि यह भीड़ एक शिक्षक के बुलाने पर जमा हुई है और इसके पीछे की वजह अपनी भाषा के लिए संघर्ष है. दरअसल, राजस्थानी भाषा की जागरूकता को लेकर राजस्थानी युवा समिति ने यूनिवर्सिटी के खुले मंच पर "हेलो मयाड़ भाषा रौ" का कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें हजारों युवाओं ने भाग लिया और राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने की शपथ ली.
राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने की मांग
उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के खुले मंच पर युवाओं में जागरूकता लाने के लिए कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थानी युवा समिति के राष्ट्रीय सलाहकार और इतिहास के अध्यापक राजवीर सिंह चलकोइ ने की. इनका यह अभियान पूरे प्रदेश में चर्चित हुआ. इनके बुलाने पर हजारों छात्र आगे आ रहे हैं. इन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक हमारी राजस्थानी भाषा है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जिस भाषा में यहां का छात्र बीए, एमए और पीएचडी कर लेता है उसी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है. राज्य सरकार केंद्र सरकार का हवाला देकर इस बात से किनारा कर लेती है और केंद्र सरकार राजभाषा न होने का हवाला देकर इसे संवैधानिक दर्जा नहीं दे रही है. जबकि राज्य सरकार राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने के लिए स्वतंत्र है. इसलिए हमारी मांग है कि वर्तमान राज्य सरकार इस मुद्दे पर संज्ञान ले और राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दे.
कार्यक्रम में आए युवाओं को किया जागरूक
राजस्थान में अलग-अलग क्षेत्र की कई प्रकार की बोलियां बोली जाती है. ऐसे में कईयों के मन मे सवाल उठता है कि राजस्थानी बोली कौनसी है. यहीं नहीं कार्यक्रम में मंच का संचालन भी प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों से आए युवकों ने अलग-अलग भाषा में किया. इस पर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आई वी त्रिवेदी ने कहा कि इस कार्यक्रम का संचालन प्रदेश की अलग-अलग बोलियों में हुआ. इससे यह साबित होता है कि सभी जगह अलग-अलग बोलियां बोली जाती है परंतु भाषा एक ही है राजस्थानी और यही होनी भी चाहिए. इसके अलावा शोधार्थियों ने अलग-अलग दस्तावेजों, पुराने पत्रों व साहित्य लेखों के माध्यम से भाषा के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी कार्यक्रम में आए युवाओं के साथ साझा की.