Rajasthan News: भरतपुर में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल, सालों से मंदिर में नगाड़ा बजा रहे नूर मोहम्मद
नूर मोहम्मद को अधिकतर लोग प्रह्लाद के नाम से जानते हैं. उनका जन्म होलिका दहन के दिन हुआ था. उनका जहां जन्म हुआ तो उनके घर के पास एक मंदिर था.
Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर जिले में सांप्रदायिक सौहार्द देखने को मिलता है.देश में हर दिन हिंदू-मुसलमान को लेकर कुछ न कुछ होता रहता है.भरतपुर जिले की ऐतिहासिक मां मनसा देवी के मंदिर में सुबह साढ़े चार बजे मुस्लिम तीन पीढ़ियों से बिना नागा किए सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर पहुँच कर मंगला आरती में नगाड़ा बजाते है. सर्दी हो या गर्मी, तूफान भले ही आ जाएं, लेकिन मां के दरबार में नूर मोहम्मद नगाड़ा
बजाने के लिए सही समय पर पहुंच जाते हैं.
नूर मोहम्मद के दादा बजाते थे माता के मंदिर में नगाड़ा
भरतपुर स्टेट टाइम से ही नूर मोहम्मद के दादा फैली खान शाही परिवार की ओर से माता मनसा देवी के मंदिर में नगाड़ा बजाने का काम करते थे.उनके देहान्त के बाद नूर मोहम्मद के पिता निन्नू खान माता के मंदिर में नगाड़े बजाते थे नूर मोहम्मद के पिता के देहांत के बाद नूर मोहम्मद सुबह और शाम को माता की हाजरी लगाते है.चाहे आँधी आये या तूफान नहीं रोक पाते नूर मोहम्मद के कदम समय से पहले ही मंगला आरती में पहुँचते है. वहां पर वे नगाड़ा बजाकर मटकी मंगला आरती कराते हैं.
नूर मोहम्मद को माता रानी में है आस्था
नूर मोहम्मद ने बताया है की वह सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर मंदिर पंहुच जाते हैं और मंदिर की सेवा नगाड़ा बजाकर करते हैं. नूर मोहम्मद की उम्र लगभग 70 साल है और उनके पांच बच्चे है जिनकी शादी हो चुकी है.उनको माता रानी में अटूट विश्वास है. जब उनसे पूछा की घर खर्च कैसे चलता है तो उन्होंने एक ही बात कही सब माता रानी की कृपा है. नूर मोहम्मद जब नागाड़ा बजाते हैं तो उस समय श्रद्धालु उन्हें ईनाम के तौर पर कुछ दे जाते हैं जिससे वे अपने परिवार का लालन -पालन करते हैं.
नूर मोहम्मद को लोग प्रहलाद के नाम से जानते है
नूर मोहम्मद को अधिकतर लोग प्रह्लाद के नाम से जानते है.उनका जन्म होलिका दहन के दिन हुआ था. उनका जहां जन्म हुआ तो उनके घर के पास एक मंदिर था. मंदिर के पुजारी ने नूर मोहम्मद के पिता से पूछा क्या हुआ तो उन्होंने बताया की घर में बेटे का जन्म हुआ है.तब नाम पंडित जी नूर मोहम्मद का नाम प्रहलाद रख दिया तभी से लोग नूर मोहम्मद को प्रह्लाद के नाम से ही जानते है.
अपने बेटे को भी लगाया माता की सेवा में
नूर मोहम्मद की उम्र 70 वर्ष के लगभग है लेकिन उन्होंने अपने बेटे को भी माँ की सेवा में लगा दिया है.र मोहम्मद अगर कहीं चले जाते है तो नूर मोहम्मद का बेटा नगाड़ा बजाकर माता की सेवा करता है.
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