Rajasthan News: पीएचडी करने के लिए अब तक पहले पोस्ट ग्रेजुएट करना जरूरी होता था, लेकिन अब छात्र सीधे ग्रेजुएट के बाद ही पीएचडी कर पाएंगे. यूजीसी ने इसको लेकर नियमों में बदलाव किये हैं और राजस्थान के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (Mohanlal Sukhadia University) से इन नियमों को अपने यहां सबसे पहले लागू किया है. राजस्थान के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से अब छात्र ग्रेजुएशन के बाद ही पीएचडी (PhD) कर पाएंगे. विश्वविद्यालय ने पीएचडी को लेकर रेग्युलेशन जारी कर दिया है जिसके मुताबिक अगर छात्र ने बैचलर डिग्री की है तो उसे पीएचडी के लिए क्वालिफाई माना जाएगा. इससे छात्रों पीजी में लगने वाला समय बचेगा.
यह डिग्री करने के बाद मिलेगा प्रवेश
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय राजस्थान का पहला विश्वविद्यालय है जिसने पीएचडी रेग्युलेशन की शुरुआत कर दी है. विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. कुंजन आचार्य ने बताया कि यूजीसी द्वारा लागू किए गए पीएचडी के नए नियमों को संशोधन के साथ कॉन्सिल बैठक के पटल पर रखा जिसको अंगीकृत और स्वीकृत कर लिया गया. नई शिक्षा नीति में किए गए प्रावधान के अनुसार जो छात्र 4 साल वाले स्नातक इंटीग्रेटेड कोर्स को करेगा करेगा और जिनके परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक आएंगे वो छात्र ही अब पीएचडी में दाखिला ले पाएंगे. इसके साथ ही थीसिस में शोधपत्र प्रकाशन की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है. बैठक में अंगीकृत किए गए उक्त नियम भविष्य में रजिस्टर्ड होने वाले पीएचडी शोधार्थियों पर लागू होंगे.
पीएचडी के इन नियमों में भी हुआ बदलाव
एकेडमिक काउंसिल में पीएचडी शोध के दौरान गाइड बदलने के नियम में भी बदलाव कर नियम पारित किया गया. पहले विद्यार्थी की इच्छा या प्रशासन द्वारा तय किए गए नियमों के तहत विशेष परिस्थितियों में गाइड बदल दिया जाता था लेकिन अब यह नियम बनाया गया है कि गाइड बदलाव के बाद नए गाइड के साथ शोधार्थी को कम से कम 2 साल काम करना होगा. उसके बाद ही वह अपना शोध कार्य सबमिट कर पाएगा. नए गाइड का नाम भी डिपार्टमेंटल रिसर्च कमेटी के स्तर पर तय किया जाएगा.
साथ ही नए प्रावधानों के तहत अब प्रोफेसर को 8, एसोसिएट प्रोफेसर को 6 और असिस्टेंट प्रोफेसर को 4 पीएचडी स्कॉलर आवंटित किए जाएंगे. इसके साथ ही टीएसपी क्षेत्र के लिए पहले से चला आ रहा एक सुपर न्यूमैरिक सीट का प्रावधान यथावत रखा गया है. पीएचडी करने के लिए न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 8 वर्ष की सीमा तय की गई है. दिव्यांगों और महिलाओं के लिए यह छूट अधिकतम 10 साल तक मान्य रहेगी.
यह भी पढ़ें:
Rajasthan Congress Politics: दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान की बैठक कल, क्या राजस्थान का निकलेगा हल?