Rajasthan: डीडवाना को अब 'बेटी-जवांई' से आस, सीएम गहलोत से इस तरह की जिला बनाने की मांग
हिमांशी डीडवाना की बेटी और वैभव यहां के जवांई हैं. यह दोनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे-बहू हैं. इस नाते सीएम गहलोत डीडवाना के समधी हैं. जनता को उम्मीद हैं कि वे अपने इस रिश्ते का फर्ज निभाएंगे.

Didwana District Demand: राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में आगामी 10 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) राज्य बजट पेश करेंगे. बजट की तारीख नजदीक आने के साथ ही प्रदेशभर में नए जिलों की मांग जोर पकड़ने लगी है. प्रदेश में जहां-जहां से नए जिलों की मांग हो रही है, वहां हस्ताक्षर अभियान, रैलियां और बयानबाजी का दौर जारी है. जनता और जनप्रतिनिधि सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं. हाल ही सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भी विभिन्न विधायकों ने अपने क्षेत्र को जिला बनाने की पुरजोर मांग उठाई. अजमेर जिले में ब्यावर, बाड़मेर में बालोतरा, नागौर में मेड़ता और डीडवाना समेत प्रदेश में कई जगह नए जिलों की मांग हो रही है.
डीडवाना को अब इनसे है आस
नागौर (Nagaur) जिले का विभाजन कर डीडवाना (Didwana) को नया जिला मुख्यालय बनाने की मांग कई साल पुरानी है. स्थानीय लोगों ने बीजेपी और कांग्रेस सरकार से कई बार यह मांग की मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. अब स्थानीय जनता को राजस्थान क्रिकेट एसोसिशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) और उनकी पत्नी हिमांशी गहलोत (Himanshi Gehlot) से आस है. जनता चाहती है कि यह दोनों भी डीडवाना जिले की मांग को लेकर आवाज बुलंद करें. शहर में निकाली रैली में लोगों ने हाथों में बैनर लेकर उनसे यह पुकार की.
दरअसल, हिमांशी डीडवाना की बेटी और वैभव यहां के जवांई हैं. यह दोनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे-बहू हैं. इस नाते सीएम गहलोत डीडवाना के समधी हैं. जनता को उम्मीद हैं कि वे अपने इस रिश्ते का फर्ज निभाएंगे.
जिले के लिए 16 जनवरी को रहा था बंद
चुनावी साल में पेश होने वाले बजट से पहले डीडवाना को जिला बनाने की मांग को लेकर 16 जनवरी को बंद रहा था. जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बंद के दौरान सैकड़ों लोगों ने धरना प्रदर्शन किया. मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा. स्थानीय कांग्रेस विधायक चेतन डूडी ने भी धरने पर पहुंचकर मांग का समर्थन किया. उन्होंने उम्मीद जताई कि लंबे समय पुरानी मांग को सीएम गहलोत पूरी कर जनता को जिले का तोहफा देंगे. डीडवाना जिले के मापदंड पूरे करता है. यहां एसपी और कलेक्टर को छोड़कर सभी कार्यालय मौजूद हैं.
इसलिए जिले की दावेदारी कर रहा शहर
नागौर जिले की सीमा जयपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बीकानेर, चूरू और सीकर जिलों को छूती है. राजस्थान में पाली के बाद नागौर ऐसा जिला है, जिसकी सीमाएं सर्वाधिक दूसरे जिलों को छूती है. इस जिले में डीडवाना की दावेदारी इसलिए हो रही है कि यहां सबसे पहले अतिरिक्त जिला बना था और कई अतिरिक्त जिले के दफ्तर खोले गए थे. बीजेपी सरकार में यहां से मंत्री रहे यूनुस खान (Yunus Khan) का सरकार में दबदबा था. ऐसे में यहां परिवहन विभाग का डिपो भी है. यहां अतिरिक्त जिला कलेक्टर व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी खुल चुके हैं.
चुनावी साल में जिलों की मांग हुई तेज
राजस्थान (Rajasthan) में इस साल विधानसभा चुनाव (Aseembly Election) होने हैं. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि आने वाले बजट में गहलोत सरकार नए जिलों की घोषणा करेगी. ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि क्योंकि सरकार ने नए जिले गठन करने के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. प्रदेश के 24 जिलों से 60 शहरों के नाम जिले की प्रस्तावित सूची में शामिल हैं. कमेटी ने इन शहरों का सर्वे कर तैयार रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. माना जा रहा है कि 10 फरवरी को सीएम गहलोत राज्य बजट में नए जिलों की घोषणा करेंगे.
प्रतापगढ़ बना था 33वां जिला
भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में इस वक्त 33 जिले हैं. 33वां जिला प्रतागढ़ 14 साल पहले वर्ष 2008 में बना था. तब वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) सरकार ने इस जिले की घोषणा की थी. इसके बाद मांग तो लगातार बढ़ती गई मगर किसी नए जिले की घोषणा नहीं हुई. वर्ष 1981 तक राजस्थान में 26 ही जिले थे, जो बढ़कर 33 हो गए हैं. आने वाले वर्षों में यह संख्या 40 तक पहुंच सकती है.
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