Rajasthan News: राजस्थान की जेलों में बंद कैदियों को और भी अच्छा क्वालिटी का खाना मिलेगा. यहां राजस्थान जेल मुख्यालय ने ठेका व्यवसाय प्रथा बंद करते हुए अब सहकारी उपभोक्ता भंडार से ही खाद्य सामग्री खरीदने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद प्रदेश के सभी जेल प्रशासन ने इसको लेकर कवायद शुरू कर दी है. इसके पीछे सरकार का मानना है कि आए दिन कैदियों की समस्या रहती है कि उन्हें अच्छी क्वालिटी का खाना नहीं मिल पाता. उस को ध्यान में रखते हुए ने प्रयास शुरू किए गए हैं.
मिलेगा हाई क्वालिटी फूड
इसके साथ ही सहकारी उपभोक्ता को भी बढ़ावा देने के लिए जेल मुख्यालय ने यह पहल की है. हालांकि उपभोक्ता भंडार में सामग्री लेने में जेल प्रशासन के सामने डेढ़ से दोगुना खर्च बढ़ जाएगा. जेल प्रशासन को राशन सभी प्रकार की दालें आदि सामग्री सिर्फ सहकारी उपभोक्ता भंडार सही खरीदनी होगी. इसमें मसाले भी एग मार्ग क्वालिटी के होंगे. पहले ठेका प्रथा वाले ठेकेदार मर्जी चाहे जैसे सामग्री लाकर खिला दे देते हैं. लेकिन अब जेल प्रशासन ने सरकारी उपभोक्ता से ही सामान को खरीद कर कैदियों को उच्च क्वालिटी का खाना खिलाने के निर्देश दिए हैं.
बाहर से नहीं आएगी राशन सामग्री
हालांकि सहकारी उपभोक्ता भंडार राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित दरों पर ही राशन सामग्री बेचता है. सामग्री खरीद जेल मुख्यालय की ओर से अनुमोदित दरों के अनुसार होगी. अगर जिला स्तर पर सहकारी उपभोक्ता भंडार नहीं है तो जेल प्रभारी नजदीक जिले के सहकारी उपभोक्ता भंडार से टाईअप कर व्यवस्था करेंगे. लेकिन बाहर से राशन सामग्री नहीं आएगी. राशन सामग्री खरीदने के लिए जेल प्रशासन बंदियों के हिसाब से प्रदेश जेल मुख्यालय को डिमांड भेजेगा. उस हिसाब से विभाग को यह सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी. यह राशन सामग्री सरकारी उपभोक्ता द्वारा एक माह की ही उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि खाद्य सामग्री को सही ढंग से पैकिंग कर वह सुरक्षित कर रखा जा सके. जेल मुख्यालय ने सरकारी उपभोक्ता को भी सुरक्षा के साथ राशन सामग्री पहुंचाने के लिए पाबंद किया है.
ऐसे मिलता है भोजन व नाश्ता
राजस्थान की जेलों में बड़ी संख्या में कैदी बंद है. जेल में बंद कैदियों का सुबह से लेकर शाम तक का चाय से लेकर नाश्ता और भोजन का समय निर्धारित है. जेल खुलने के बाद सुबह 7 बजे चाय और नाश्ता दिया जाता है. नाश्ते में सातों दिन अलग अलग तरह का नाश्ता जैसे पोहा, उपमा, चने आदि दिए जाते हैं. इसके बाद खाना दिया जाता है. जिसमें गेहूं की रोटी दाल व सब्जी दी जाती है जो सातों दिन अलग-अलग तरह की होती है. इसके बाद दोपहर 3 बजे सभी बंदियों को उबले हुए चने व शाम को फिर से खाना दिया जाता है. विभाग का मानना है कि सरकारी उपभोक्ता से मिलने वाले भोजन पहले से ज्यादा गुणवत्ता वाला होगा. पहले ठेकेदार राशन वाला ही लेते थे जो एक डाइट फिक्स हो जाती थी. डाइट के हिसाब से राशन लाकर दिया जाता था.
डेढ़ से दो गुना बढ़ जाएगी दर
डीजीपी जेल भूपेंद्र दक के आदेशानुसार जेल में सभी प्रकार की खाद्य सामग्री राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ से खरीदी जाएगी. सहकारी उपभोक्ता भंडार से सामग्री लेने में जेल का खर्च डेढ़ से दो गुना बढ़ जाएगा. खाने पर जो सरकार का खर्च आता है वो अब उपभोक्ता भंडार से लेने में बढ़ जाएगा. उपभोक्ता भंडार बाजार दर से जेल प्रशासन को सामग्री देगा. जबकि पहले टेंडर प्रक्रिया में कंपटीशन के चलते ठेकेदार दर तय करते थे.
अब मिलेगा हाई क्वालिटी फूड
पहले 29 से 30 रुपए की डाइट पड़ती थी. जिसमें दो समय का भोजन, चाय, नाश्ता और हर रविवार को खीर या हलवा. ऐसे में अब सहकारी भंडार से लेने में यह खर्च लगभग डेढ़ से दो गुणा बढ़ जाएगा. जेल मुख्यालय के आदेशों के अनुसार जेल में आने वाले तेल, घी, दाल, मसाले सहित अन्य खाद्य सामग्री उच्च गुणवत्ता वाले, एफएसएसएआई मानकों के अनुसार और एगमार्क के ही भेजे जाएंगे. सभी जेलर और उप कारापाल को आदेश है कि जेल में खाद्य सामग्री आने से पूर्व वे सभी इनकी जांच करेंगे और उसके बाद ही खाने के लिए इसका प्रयोग किया जाएगा.
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