Barmer News: पश्चिमी राजस्थान धोरों की धरती के बाड़मेर जिले में पिछले 15 दिनों से एक लेपर्ड के आतंक से पूरे गांव के लोग दहशत से लोगों को राहत मिली है. रेस्क्यू टीम ने आज कई दिनों के बाद लेपर्ड को पकड़ लिया है. पिछले एक सप्ताह से वन विभाग और जोधपुर रेस्क्यू टीम बाड़मेर से 35 किलोमीटर दूर के तारातरा गांव में डेरा डाले हुए थी, आज जाकर विभाग को सफलता मिली है.


10 घंटे तक ढूंढा
रेस्क्यू टीम लेपर्ड के मोमेंट पर नजर बनाए हुए थे. वहीं आज गुरुवार को लेपर्ड पहाड़ों से तारातरा व लालसर गांव की तरफ मूवमेंट करने की सूचना मिली. उसके बाद वन विभाग व जोधपुर से पहुंची. रेस्क्यू टीम ने करीब 10 घंटे तक लेपर्ड को ढूंढने के लिए मशक्कत करती रही. लेपर्ड के पैरों के निशाना की मॉनिटरिंग की तो लेपर्ड लीलसर गांव में पेड़ के नीचे बैठा नजर आया. लेपर्ड को ढूंढने में ग्रामीणों ने भी वन विभाग और रेस्क्यू टीम की काफी मदद की थी.


कई बकरियों को किया था शिकार
वन विभाग व रेस्क्यू टीम में मौजूद बंसीलाल राजू सिंह भाटी मुकेश व स्वरूप सिंह की टीम ने 15 दिन बाद आज गुरुवार को लीलसागर गांव से 4 किलोमीटर दूर एक किसान के खेत में पेड़ के नीचे बैठा देखा तो किसान ने सूचना दी. इस पर तुरंत वन विभाग व रेस्क्यू टीम ने मौके पर पहुंच गई. लेपर्ड को ट्रेंकुलाइजर गन से बेहोश कर रेस्क्यू किया. पिछले 15 दिनों में तारातरा व लील सागर गांव में करीब 10-12 पालतू बकरियों का शिकार किया था. 


बाड़मेर ले जाया गया लेपर्ड
वन विभाग व रेस्क्यू टीम ने बताया कि क्षेत्र में कई किलो मीटर लंबी चौड़ी पहाड़ियां हैं. यहां पहले भी दूसरे लेपर्ड रह चुके हैं. इसी कारण से लेपर्ड क्षेत्र में आ गया. रेस्क्यू करने के बाद बाड़मेर लाया गया, जहां लेपर्ड के स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है. अब इस लेपर्ड को ले जाकर कुंभलगढ़ के अभ्यारण में छोड़ा जाएगा.


कुंभलगढ़ अभ्यारण में छोड़ने की तैयारी
लेपर्ड को पकड़ने में आज 15 दिन बाद सफलता मिली है. लेपर्ड को पेड़ के नीचे बैठा देखकर ट्रेंकुलाइजर गन से लेपर्ड को बेहोश किया गया. उसके बाद गाड़ी में डालकर बाड़मेर लाया गया, जहां पर लेपर्ड की स्वास्थ्य का परीक्षण में लेपर्ड स्वस्थ पाया गया है. अब उसे कुंभलगढ़ के अभ्यारण में छोड़ने की तैयारी की जा रही है. 


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