Bharatpur News: राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर एनसीआर में आते है. अलवर और भरतपुर में राजधानी दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ही कार्य किये जाते है. विकास की रूपरेखा भी एनसीआर की गाइडलाइन के अनुसार ही तैयार होती है.


राजस्थान का अलवर जिला 1986 में एनसीआर में  शामिल किया गया था. एनसीआर में शामिल होने के बाद अलवर जिले के विकास की रफ्तार और तेज हो गई. भरतपुर जिले को एनसीआर में वर्ष 2013 में शामिल किया गया था तब भरतपुर के लोगों में बहुत खुशी थी कि अब अलवर जिले के जैसे भरतपुर जिले में भी विकास की रफ्तार तेज हो जाएगी. लेकिन लोगों कि उम्मीदों पर पानी फिर गया.


एनसीआर में शामिल भरतपुर के लोगों की समस्याएं 


10 साल बाद भी आज तक भरतपुर में एक भी प्रोजेक्ट ऐसा नहीं बना जिसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा कोई विकास का कार्य कराया गया हो. भरतपुर के लोग अब जिले को एनसीआर से बाहर निकलने का बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि भरतपुर जिले को एनसीआर में शामिल करने के बाद लोगों की परेशानियां और बढ़ीं हैं.


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार राज्य के अन्य जिलों में पेट्रोल वाहनों का रजिस्ट्रेशन 15 वर्ष के लिए किया जाता है. उसी वाहन का रजिस्ट्रेशन एनसीआर की गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ 10 साल के लिए किया जाता है. इसलिए लोग एनसीआर से मुक्ति पाना चाहते है.


आतिशबाजी का कारोबार हुआ खत्म


भरतपुर जिले में कोई भी ऐसा रोजगार नहीं है जिससे लोग अपने परिवार का लालन - पालन कर सकें. भरतपुर में या तो लोग खेती करके अपना जीवन यापन करते है या फिर सेना और पुलिस की नौकरी करके परिवार का गुजर बसर करते हैं. भरतपुर में आतिशबाजी का अच्छा कारोबार था आतिशबाजी से लोगों को घर बैठे रोजगार मिल रहा था लेकिन एनसीआर में भरतपुर जिले के शामिल होते ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार आतिशबाजी पर रोक लगा दी गई जिससे कई लोग बेरोजगार हो गए.  


भरतपुर को एनसीआर में शामिल करने से फायदा से ज्यादा नुकसान हुआ है. लोगों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत प्रदूषण को रोकने के लिए डीजल के जनरेटर पर भी रोक लगी है. भरतपुर में पहाड़ों पर खनन का कार्य होता है. एनसीआर में हवा की गुणवत्ता ख़राब होने पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा समय- समय पर प्रदुषण फ़ैलाने वाले औधोगिक इकाइयों को बंद करने के साथ कई कड़े फैसले लिए जाते हैं जिसमें खनन कार्य पर भी रोक लगा दी जाती है. जो लोग खनन कार्य से मजदूरी कर अपने परिवार का लालन - पालन करते हैं उनको परेशानी का सामना करना पड़ता है.


अब भरतपुर के लोग इन्तजार कर रहे हैं की कब भरतपुर जिले को एनसीआर से बाहर किया जाएगा. भरतपुर जिले के लोग काफी परेशान हैं. कुछ समय पहले कहा जा रहा था की दिल्ली एनसीआर की सीमा दिल्ली के राजघाट से 100 किलोमीटर तक की जा रही है तो भरतपुर के लोगों का ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा था लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है.


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