Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर (Bharatpur) जिले में स्थित पक्षियों की नगरी के नाम से मशहूर केवलादेव नेशनल पार्क (Keoladeo National Park) में देशी-विदेशी पर्यटक पक्षियों को निहारने आते हैं. पर्यटकों को केवलादेव नेशनल पार्क के अंदर ले जाने के लिए केवल साइकिल या साइकिल रिक्शा को ही अनुमति है जिससे पक्षी डिस्टर्ब न हों. केवलादेव नेशनल पार्क में लगभग 125 रिक्शा चालकों को पर्यटकों को घुमाने के लिए अनुमति दे रखी है. 


यहां फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं रिक्शा चालक




 केवलादेव नेशनल पार्क में रिक्शा चालक कई वर्षों से पर्यटकों को घुमाने का काम कर रहे हैं. देशी-विदेशी पर्यटकों को पार्क में घुमाने और पर्यटकों के साथ समय बिताने से रिक्शा चालक फर्राटे की इंगलिश बोलने लग गए हैं. यही कारण है कि यहां रिक्शा चालक अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे होने के बाद भी फर्राटे की इंगलिश बोलते हैं.  


कई देशों की जानते हैं भाषा 
केवलादेव नेशनल पार्क में विदेशी पर्यटकों को घुमाते-घुमाते रिक्शा चालक इंग्लिश बोलना तो सीखे ही हैं, साथ ही कई तरह की भाषा भी सीख गए हैं. रिक्शा चालक फ्रेंच, जर्मन, इटालियन और यूरोपीय देशों की भाषा भी जानते हैं. विदेशी पर्यटकों को घुमाते समय ये रिक्शा चालक गाइड का भी काम कर लेते हैं. 


क्या कहना है रिक्शा चालक का 




केवलादेव नेशनल पार्क में रिक्शा चालक बलवंत सिंह ने बताया है कि नेशनल पार्क में पर्यटकों को घुमाते-घुमाते कई वर्ष हो गए हैं. पर्यटकों के साथ रहकर ही इंगलिश बोलना सीखा है, साथ ही फ्रेंच, जर्मन और यूरोपीय देशों की भाषा भी सीख गए हैं. 


करते हैं गाइड का भी काम




भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 300 प्रजातियों के लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पक्षी देखने को मिलते हैं. केवलादेव नेशनल पार्क के रिक्शा चालकों को सभी पक्षियों के नाम पता होते हैं, यही नहीं उन्हें विदेश पक्षियों की भी जानकारी होती है. कई बार ये रिक्शा चालक गाइड की भूमिका भी अदा करते हैं. जो पर्यटक अपने साथ गाइड नहीं लेते उन्हें रिक्शा चालक ही पक्षियों की जानकारी देते हैं.  


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