Rajasthan News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सीएम की कुर्सी को लेकर लंबी जद्दोजद के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. वहीं मुकेश अग्निहोत्री उपमुख्यमंत्री बनाए गए. इन दोनों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge), राहुल गांधी (Rahul Gandhi), प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की मौजूदगी में रविवार को शिमला के रिज मैदान में शपथ ली. मुख्यमंत्री की शपथ के बाद हिमालच की प्रदेश कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) का सीएम बनने का सपना अधूरा रह गया.


हिमाचल में सत्ताधारी बीजेपी (BJP) को हराकर कांग्रेस को जीत दिलाने और सत्ता हासिल करने में प्रतिभा सिंह ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. उन्होंने कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया है. ऐसे में उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस बड़ी जीत के लिए पार्टी उन्हें तोहफे के रूप में सीएम पद देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रतिभा सिंह पहली ऐसी प्रदेश अध्यक्ष नहीं हैं, जिनका सीएम पद का सपना अधूरा रह गया हो. प्रतिभा सिंह के साथ भी ठीक वैसा ही हुआ है, जैसा राजस्थान में सचिन पायलट के साथ हुआ था. दरअसल, चार साल पहले में राजस्थान में भी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग उठी थी, लेकिन अशोक गहलोत के सीएम बनने से पायलट के पंख उड़ान नहीं भर सके. संयोग से पायलट ही हिमाचल के पर्यवेक्षक भी थे.


कौन हैं प्रतिभा सिंह ?
हिमाचल प्रदेश चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद देश में प्रतिभा सिंह के नाम की चर्चा रही है. प्रतिभा सिंह हिमाचल के कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं. वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश में छह बार मुख्यमंत्री रहे हैं. पति के पद्चिन्हों पर चलते हुए साल 1998 में राजनीति में सक्रिय रूप से आई थीं. पहला चुनाव मंडी संसदीय क्षेत्र से लड़ा था, उस वक्त बीजेपी उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने उन्हें करीब सवा लाख मतों से हराया था. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में प्रतिभा ने दूसरी बार किस्मत आजमाई और अपने समधी महेश्वर से पिछली हार का बदला लेकर जीत हासिल की और सांसद बनीं. साल 2012 में वीरभद्र सिंह ने सीएम बनने के बाद लोकसभा से त्यागपत्र दे दिया था. 2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा ने दिग्गज नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर को हराया.


30 सालों से था परिवार का राज
विधानसभा चुनाव से पहले इसी साल अप्रैल माह में कांग्रेस पार्टी ने प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी. 30 सालों से अधिक समय से हिमाचल कांग्रेस पर वीरभद्र परिवार का एकछत्र राज्य था. चुनाव में प्रतिभा ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को सत्ता दिलवाई. जीत के बाद उन्होंने कहा था कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम और काम पर वोट मांगे गए. जनता ने वीरभद्र सिंह के विकास मॉडल पर कांग्रेस को सत्ता सौंपी है.


सचिन पायलट के साथ भी ऐसा ही हुआ
राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का हाल भी प्रतिभा सिंह जैसा ही हुआ था. साल 2014 में कांग्रेस पार्टी ने पायलट को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था. उस वक्त राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं. पायलट ने प्रदेशभर में घूमकर जनसंपर्क किया और सूबे में मजबूत टीम खड़ी की. कुशल रणनीति का परिणाम यह रहा कि साल 2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान सूबे में सत्ता परिवर्तन हुई और कांग्रेस की सरकार बनी. उस वक्त सूबे की जीत का सेहरा भी सचिन के सिर बांधा गया और उन्हें सीएम बनाने की पुरजोर मांग भी उठी, लेकिन अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया और सचिन को राजस्थान के 5वें उप मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया. साल 2020 में हुए सियासी संघर्ष के बाद पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया.




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