Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने मंगलवार को कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के पुत्र वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) को टिकट देने की पैरवी की थी जबकि उस समय पार्टी आलाकमान वैभव को टिकट देने के पक्ष में नहीं था.


आलाकमान नहीं था टिकट देने के पक्ष में
पायलट का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने दावा किया कि सचिन पायलट ने केंद्र में यूपीए-2 सरकार में मंत्री पद पाने के लिए उनसे मदद मांगी थी. हालांकि वह पहले ही पायलट को मंत्री के रूप में शामिल करने की सिफारिश कर चुके थे. पायलट ने 2019 के लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए यहां संवाददाताओं से कहा कि आलाकमान वैभव गहलोत को टिकट देने के पक्ष में नहीं था. उन्होंने कहा, ''जैसा मैंने कहा कि आलाकमान बहुत ज्यादा वैभव को टिकट देने के पक्ष के पक्ष में नहीं था कि एक ही नाम आया है, पिता मौजूदा मुख्यमंत्री है. लेकिन उस वक्त मैंने वैभव की पैरवी की और दोनों, राहुल गांधी एवं सोनिया गांधी से कहा कि मेरी कार्यकारिणी में काम किया है तो मैं समझता हूं कि एक मौका मिलना चाहिए.''


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वैभव हार गए थे चुनाव
पायलट ने कहा कि उस समय वह प्रदेश अध्यक्ष थे और चूंकि अशोक गहलोत जी नए नए मुख्यमंत्री बने थे तो उनके मनोबल को ठेस लगे ऐसा भी मैं नहीं चाहता था. इसलिए मैंने पूरी पैरवी की और राहुल एवं सोनिया जी से कहा कि टिकट वैभव को मिलना चाहिए . हालांकि वह चुनाव नहीं जीत सके और काफी अंतर से चुनाव हार गये. हालांकि मध्य प्रदेश में भी कमलनाथ जी के बेटे को टिकट दिया था वह जीत गए थे. वैभव गहलोत के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों पर उन्होंने कहा,''मुझे लगता है कि इसके बारे में वह खुद अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं. मुझे इस बारे में और कुछ नहीं कहना है.''


बीजेपी से 2.7 लाख मतों से हारे थे वैभव गहलोत
उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जोधपुर सीट पर वैभव गहलोत को टिकट दिया था. बीजेपी के गजेंद्र शेखावत ने उन्हें 2.7 लाख मतों से हराया. गहलोत ने इसी नौ मार्च को यहां एक कार्यक्रम में कहा था कि जब 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 20 सीटें मिलीं, तो उन्होंने राजस्थान से केंद्रीय मंत्री के रूप में सचिन पायलट सहित चार सांसदों के नामों की सिफारिश की. उन्होंने कहा, ''बाद में सचिन पायलट का मेरे पास फोन आया था और मुझसे मंत्री बनाने के लिए मदद करने का आग्रह किया था. तो मैंने उनसे कहा कि आप आज यह कह रहे हैं लेकिन मैं पहले ही आपका नाम (केंद्र को) प्रस्तावित कर चुका हूं.''
उल्लेखनीय है कि 2020 में पायलट एवं गहलोत के बीच राजनीतिक तनातनी सामने आने से राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था.


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