Udaipur News: राजस्थान में कई बार ग्रामीण क्षेत्रों से खबरें आती हैं कि फलां परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया है और प्रताड़ना दी जा रही है. इस पर वह परिवार पुलिस के पास पहुंचता है ताकि उसे मदद मिले, लेकिन कभी ऐसा हो जाए कि समाज के रक्षक पुलिसकर्मियों को ही समाज से बहिष्कृत कर दिया जाए तो क्या हो. ऐसा उदयपुर (Udaipur) में हुआ है. यहां महिला सहित तीन पुलिसकर्मियों को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया, यहीं नहीं उनका हुक्का-पानी तक बन्द कर दिया गया है. इस पर तीनों ही पुलिसकर्मी एसपी के पास गुहार लेकर पहुंचे और समाज के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. 


सालवी समाज के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों पर मुकदमा
दरअसल मामला उदयपुर जिले के खेरवाड़ा तहसील का है. वहां पीड़ित पुलिसकर्मियों ने एफआईआर दर्ज कराई है. बड़ी बात यह है कि इसमें तीनों ही पुलिसकर्मी एक ही परिवार के हैं. इसमें मीरा कुमार सालवी, उनके दोनों पुलिसकर्मी बेटे प्रकाश और कमलेश परिवादी हैं. तीनों ने एमपी विकास कुमार को परिवाद दिया. एसपी के आदेश पर परिवाद के अनुसार खेरवाड़ा पुलिस ने सालवी (बुनकर) समाज संस्थान खेरवाडा के अध्यक्ष हीरालाल लाल सालवी, कार्यवाहक अध्यक्ष अमृतलाल पन्ना सालवी, कोषाध्यक्ष बृजमोहन नाथूलाल पछोला सहित समाज के अन्य पदाधिकारी के विरुद्ध समाज से बहिष्कृत कर हुक्का पानी बंद कर दिए जाने का मुकदमा दर्ज किया है. हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ समाज ने ऐसा एक्शन क्यों लिया. अब पुलिस मामले की जांच कर रही है और जांच के बाद स्थिति स्पष्ट होगी.


समाज के व्हाट्सएप ग्रुप पर जारी हुआ फरमान
दर्ज एफआईआर के अनुसार परिवादी पुलिसकर्मियों ने बताया कि आरोपियों द्वारा समाज के व्हाट्सअप ग्रुप बुनकर समाज खेरवाडा में बैठक आयोजन करने का एक मैसेज प्रसारित किया. यह बैठक आरके एकेडेमी खेरवाडा में हुई. बैठक आयोजित कर पीड़ित पुलिस के जवानों और उनके परिवारजन को समाज से बहिष्कृत करते हुए हुक्का पानी बंद कर दिए जाने का फरमान जारी कर दिया गया. यहीं नहीं यह भी निर्धारित किया गया कि यदि समाज का जो व्यक्ति इनके साथ बोल चाल, सामाजिक व्यवहार रखेगा या सामाजिक कार्यक्रम में आमंत्रित करेगा तो उस व्यक्ति पर न केवल आर्थिक दंड लगाया जाएगा बल्कि उसको भी समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा. 


इस फरमान के बाद इन पीड़ितों ने कोई कानूनी कार्रवाई किए बगैर कई बार समाज से निवेदन किया कि उन्हें भी मुख्यधारा में शामिल किया जाए. पीड़ित पुलिसकर्मियों ने समाज को विधिक सूचना पत्र भी प्रेषित किया किन्तु समाज के तुगलकी पंचों ने इनको समाज में पुनः नहीं लिया. इस वजह से समाज का कोई भी व्यक्ति इनसे बातचीत भी नहीं कर रहा है.


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