Sangod MLA Bharat Singh Letter to CM: राजस्थान (Rajasthan) के कोटा जिले (District Kota) की सांगोद विधानसभा सीट (Sangod Assembly Seat ) से कांग्रेस विधायक भरत सिंह (Congress MLA Bharat Singh) मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) को लिखे पत्र (Letter) को लेकर चर्चा में हैं. सांगोद विधायक (Sangod MLA) ने अपनी ही सरकार के खिलाफ सीएम को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है. भरत सिंह ने अशोक गहलोत सरकार द्वारा बीजेपी के 4 विधायकों (BJP MLAs) पर दर्ज केस वापस लेने के मामले को जनहित में नहीं बताया है. पूर्व मंत्री ने पत्र में लिखा है कि इस प्रकार के केस वापस लेकर विधायकों को राहत प्रदान करनी है तो आम आदमी पर प्रदेश दर्ज सभी केस वापस लिए जाएं.


भरत सिंह ने पत्र में लिखा है कि 2012 में बीजेपी के 4 विधायकों पर कोटा जिले में नेशनल हाईवे (National Highway) पर जाम लगाने के कारण केस दर्ज किया गया था. अगर इसी प्रकार की धारा में किसी युवा पर केस दर्ज है, तो उसे अग्निपथ आवेदक (Agnipath Applicant) के तहत नियमानुसार सेना (Army) में भर्ती नहीं किया जा सकता है. प्रश्न यह है कि अनुशासन तोड़ने वाले युवक को जब सेना में भर्ती नहीं किया जा सकता तो फिर अनुशासन तोड़ने वाले विधायक को लोकसभा का अध्यक्ष क्यों बनाया गया? भरत सिंह ने पत्र में लिखा है कि उनकी मान्यता यह है कि उन मामलों में जहां सरकार द्वारा चालान की सिफारिश की जा चुकी है, उन्हें वापस लेना जनहित में नहीं होगा.



 


हाल में इस बात पर भरत सिंह ने सीएम को लिखा था पत्र


गौरतलब है कि इससे पहले भी भरत सिंह, सरकार और पार्टी के फैसलों पर कई बार सवाल उठा चुके हैं. हाल में राज्यसभा चुनाव के लिए बाहरी प्रत्याशी घोषित करने पर उन्होंने पत्र के जरिए अपनी पीड़ा जाहिर की थी. उन्होंने सीएम गहलोत को लिखे पत्र में लिखा था कि ये वरिष्ठ नेता राज्यसभा के माध्यम से ही जिंदा रहना चाहते हैं. ये नेता चुनाव जीतने के बाद 'लाट' साहब बन जाते हैं.


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धरना प्रदर्शन को लेकर विधायक ने कही यह बात


भरत सिंह ने कहा, ''मेरे राजनैतिक जीवन में मैंने कई बार धरने-प्रदर्शन किए लेकिन कभी कोई केस नहीं लगा, हमेशा कानून के दायरे में प्रदर्शन किया. जब संविधान में रास्ता जाम करने पर दंड का विधान है तो दिया जाना चाहिए, जनप्रतिनिधि जब रास्ता रोकता है तो उसमें साहस होना चाहिए कि वह कानून की प्रक्रिया से गुजरे.''


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