Scrub Typhus: कोटा संभाग में नई बीमारी से दहशत फैल गई है. स्क्रब टायफस रोग ने झालवाड़ जिले में 42, बारां जिले में 17 और कोटा में 5 मरीजों को चपेट में ले लिया है. नई बीमारी स्क्रब टायफस का प्रकोप बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पैर फूल गए हैं. हाडौती संभाग में बारिश का सिलसिला जारी है. बारिश के कारण स्क्रब टाइफस फैलाने वाला कीट ने भी पैर पसार लिया है. बूंदी में अभी तक स्क्रब टायफस का मामला सामने नहीं आया है लेकिन डेंगू के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. मरीज निजी क्लीनिकों और अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
जानिए क्या हैं स्क्रब टाइफस के लक्षण?
कीट के काटने से शरीर पर फफोलेनुमा काली पपड़ी का निशान पड़ जाता है और कुछ ही समय में घाव बन जाता है. स्क्रब टाइफस के लक्षणों में मरीज को तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में अकड़न और शरीर में टूटन बनी रहती है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बीमारी के लक्षण नजर आने पर तुरंत अस्पताल में जांच करवा लेना चाहिए. सीएमएचओ ओपी सामर ने बताया कि बारिश के कारण गंदगी रहने से रिकेटसिया पिस्सू कीट पनप रहे हैं. रिकेटसिया पिस्सू कीट जूं के आकार का होता है. हालांकि समय रहते विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज कराने पर लोग स्वस्थ हो रहे हैं, लेकिन एक माह तक मांसपेशियों में अकड़न और बुखार रहने और इलाज में लापरवाही बरतने से स्थिति गंभीर हो सकती है.
उन्होंने बताया कि कीट आमतौर पर झाड़ीदार और नमी वाले इलाकों में पाया जाता है. बरसात के दौरान घांस, झाड़ियों और गंदगी वाले क्षेत्र में मवेशियों से कीट चिपक जाता है और मवेशियों के संपर्क में आकर घरों पर लोगों को काट लेता है. मवेशी और जानवरों वाले घरों में कीट का खतरा अधिक रहता है. कीट के संपर्क में आने से बचने का बेहतर उपाय है पूरे बांह के कपड़े और पैरों में जूते. फिजीशियन डॉक्टर पवन भारद्वाज ने कहा कि स्क्रब टाइफस एक जीवाणुजनित संक्रमण है. संक्रमित मरीज की प्लेटलेट्स कम होने लगती है. रोगी को सांस की परेशानी, पीलिया, उल्टी, जी मिचलाना, जोड़ों में दर्द और तेज बुखार आता है. शरीर पर काले चकत्ते और फलोले भी पड़ जाते हैं. इसका असर लिवर, किडनी और ब्रेन पर भी पड़ता है. ये प्लेटलेट्स को तेजी से कम करता है.
जीवाणुजनित संक्रमण से बचने के उपाय
समय रहते इलाज होने से घातक स्थिति को टाला जा सकता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है. फिजिशियन बताते हैं कि अभी तक स्क्रब टाइफस में बुखार के लिए कोई दवा या टीका नहीं है. कीट के काटने पर पहले हफ्ते में व्यक्ति को बुखार आता है. साथ ही सिर में दर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द और शरीर में कमजोरी महसूस होने लगती है. मरीज को निमोनिया होने का भी खतरा रहता है. डॉक्टर पवन भारद्वाज ने बताया कि लक्षण नजर आने पर साधारण पेनकिलर या पेरासिटामोल दवा लेने की बजाय तुरंत डॉक्टर से सर्म्पक करें. ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ पौधों से दूर रहें. एस्चर मार्क दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढंककर रखें. परमेथ्रिन एवं बेंजिल बेंजोलेट का छिड़काव करें.
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