Udaipur News: देशभर में भिक्षावृति एक बड़ी समस्या है. शहरों में चौराहों और मुख्य बाजारों में बच्चे भिक्षा लेते दिखाई देते हैं, लेकिन उदयपुर में भिक्षावृति का एक बड़ा खुलासा हुआ है. यहां राजस्थान बाल आयोग और पुलिस विभाग ने शनिवार को भिक्षावृति के खिलाफ एक ऑपेरशन चलाया जिसमें शनिदेव के नाम पर भिक्षा का बड़ा खुलासा हुआ.
इसमें शनिदेव के कमंडल भिक्षावृति गिरोह से जुड़े लोग 50-100 किराए पर देते हैं. जिससे लगातार छोटे बच्चे इससे जुड़ते जा रहे हैं. बाल आयोग और पुलिस ने शनिवार को ऑपेरशन चलाकर ऐसे 42 बच्चों को रेस्क्यू किया है. बच्चों की पूछताछ में गिरोह का संचालन सामने आया. अब पुलिस और आयोग गिरोह से जुड़े लोगों की तलाश कर रही है.
जानिए कैसे चलता है यह गिरोह
अभियान के संयोजक और पूर्व सदस्य राजस्थान बाल आयोग डॉ. शैलेन्द्र पंड्या ने बताया कि भिक्षावृति मुक्त उदयपुर अभियान के तहत 42 बच्चों को रेस्क्यू कर पुनर्वास गृह में लाया जा चूका है. इसके लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था. उन्होंने बताया कि प्रमुख स्थानों और चौराहों पर 16 कमंडल जब्त किये, जो कि अवैध रूप से किराये पर मिले. साथ ही धार्मिक स्थलों के मुख्य पुजारियों और महंत से भी संवाद किया गया.
शनिदेव मंदिर के मुख्य महंत नारायण गिरी ने कहा कि पूरे सप्ताह शनिदेव के कमंडल बिना पूजे लोगों के पास रहते हैं. शनिवार को कई लोग बिना पूजा-अनुष्ठान हाथ में कमंडल लेकर निकल जाते हैं. कुछ समुदाय के लोग इसे अपना व्यवसाय बताकर छोटे बच्चों को भी जबरदस्ती भिक्षावृति के दलदल में धकेलते हैं. शनि देव कभी बच्चों को शिक्षा से दूर रखकर भिक्षा मांगने कि बात को स्वीकार नहीं करेंगे. आमजन को चाहिए कि वे इस तरह भिक्षावृति को बढ़ावा न दे.
रेगुलर वालों को मिलता है डिस्काउंट
आयोग सदस्य ने बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि शहर में दो-तीन जगह कमंडल किराए पर मिलते हैं. कोई नया बच्चा लेने जाता है तो उसे 50 रुपए प्रति 2 घंटे पर किराए पर देते हैं. वहीं जो बच्चा इनसे पहले से जुड़ा हुआ है उससे 100 रुपए लेते हैं और सुबह-शाम तक कमंडल किराए पर देते हैं. शनिवार को सुबह होते ही बच्चों की वहां भीड़ लग जाती है. इसमें तो कई बच्चों के माता-पिता भी साथ में आते हैं और उन्हें कमंडल दिलवाते हैं. अब पुलिस इन गिरोह के सदस्यों की तलाश कर रही है.