Rajasthan Politics: कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव खत्म हो गया और मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) नए अध्यक्ष बन गए, लेकिन राजस्थान कांग्रेस में सियासी घमासान अब भी जारी है. अध्यक्ष चुनाव के दौरान उठे बवाल पर लगातार सियासत हो रही है. सामूहिक इस्तीफा सौंपने वाले विधायकों पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. सूबे में इस बात की चर्चा है कि आखिर विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी (CP Joshi) कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर फैसला क्यों नहीं ले पा रहे हैं?


सीएम बोले- 'स्पीकर ही लेंगे फैसला'
विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के सवाल पर सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) इस मामले में पल्ला झाड़ रहे हैं. जयपुर में मीडिया से बातचीत में सीएम ने कहा, "इस्तीफों को लेकर हम लोग पिक्चर में नहीं हैं. इस्तीफों पर फैसला लेने का काम स्पीकर का है. वो प्रक्रिया के अनुसार फैसला लेंगे." प्रदेश में चर्चा का विषय बने इस मामले में फिलहाल सचिन पायलट (Sachin Pilot) का कोई बयान नहीं आया हैं.


इसलिए चुप हैं स्पीकर जोशी
इस पूरे मामले में सभी की निगाहें विधानसभा अध्यक्ष जोशी के फैसले पर टिकी हैं. जानकारों के मुताबिक, इस पूरे प्रकरण को लेकर जोशी पशोपेश में हैं. वे विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं. देश की जिन विधानसभा में ऐसे मामले हुए थे, उनका अध्ययन कर रहे हैं. जोशी के सामने एक बड़ा संकट ये है कि अगर इस्तीफे स्वीकार करते हैं तो राजस्थान की कांग्रेस सरकार (Congress Government) अल्पमत में आ जाएगी. कांग्रेस के हाथ से सत्ता भी जा सकती है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि किसी भी स्थिति में इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जाएंगे. इसी का तोड़ निकालने के लिए निर्णय लेने में इतना वक्त लग रहा है.


बीजेपी ने लगाया ये आरोप
इस मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) का कहना है, "सरकार के 90 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं मगर वो अब भी सरकारी बंगला, सरकारी गाड़ी और सरकारी सुरक्षाकर्मियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे जाहिर है कि कांग्रेस पाखंडी है या उनका इस्तीफा पाखंड है."


विधानसभा अध्यक्ष से की थी मांग
बता दें कि हाल ही में 18 अक्टूबर को बीजेपी विधायक दल ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में विधानसभा अध्यक्ष के आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की थी. उनके साथ प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, सचेतक जोगेश्वर गर्ग, विधायक वासुदेव देवनानी, अविनाश गहलोत, चंद्रकांता मेघवाल, निर्मल कुमावत, अभिनेष महर्षि, मंजीत धर्मपाल चौधरी, रूपाराम, कन्हैयालाल समेत 12 विधायकों ने स्पीकर जोशी को ज्ञापन सौंपा था. इसमें बीजेपी ने प्रदेश में सरकार समर्थित 91 विधानसभा सदस्यों के 25 सितंबर 2022 को दिए गए सामूहिक त्याग-पत्र के बाद भी उनके संवैधानिक पद पर बने रहने पर सवाल उठाते हुए संविधान के आर्टिकल 208 के तहत बने राजस्थान विधानसभा प्रक्रियाओं के नियमों के नियम 173(2) के तहत स्वेच्छा से दिए विधायकों के त्याग पत्र स्वीकार करने की मांग की.


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