Udaipur News: देवउठनी ग्यारस के बाद शादियों का सीजन आ गया है. हर जगह शहनाइयां बज रही हैं, लेकिन कुछ जगह यह शहनाइयां बच्चियों के जिंदगी में ग्रहण का काम भी कर रही हैं, क्योंकि प्रदेश में अब भी बाल विवाह की प्रथा निभाई जा रही है. पिछले दिनों प्रदशे में बाल विवाह के कई मामले सामने आ चुके हैं और अभी शादियों के सीजन भी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 3 साल में 1216 बच्चियों के बाल विवाह होने से रोका गया है, यानी बालिका वधु बनते-बनते रुकी, आज उनकी जिंदगी अच्छी है और पढ़ाई कर रही हैं. 


राज्य में रुक नहीं रहे बाल विवाह
राजस्थान में आदिवासी क्षेत्र में बाल विवाह की शिकायत काफी ज्यादा आती है. इसके पीछे प्रमुख कारण शिक्षा और जागरूकता का अभाव है. आज भी गांवों में लोगों अपनी पुरानी परंपराओं के आधार पर जीवन यापन कर रहे हैं. हालांकि बच्चियों में जागरूकता और हिम्मत आई है. इसका एक उदाहरण हाल ही में सामने आया है. बांसवाड़ा जिले में 11वीं कक्षा की एक छात्रा ने अपनी प्रिंसिपल की पत्र लिखा और शादी रुकवाने के लिए कहा था. यह तो एक बाल विवाह का मामला सामने आया, लेकिन इससे कई ज्यादा बच्चियां घर और समाज के दबाव में शादी कर भी लेती है. 


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125 गांवों में चलाया जा रहा अभियान
कई वर्षों से बाल विवाह को रोकने के लिए प्रशासनिक संस्थाओं के साथ में कई अभियान और ऑपरेशन कर इसकी रोकथान का प्रयास कर रहे हैं. यहीं नहीं उदयपुर में तो प्रशासन की तरफ से ग्रामीण क्षेत्र में टेंट, बैंड-बाजा, हलवाई व्यापारियों से बात कर ऐसी शादियों में शामिल ना होने और होने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा चुकी है लेकिन फिर भी कामयाबी नहीं मिली. यहीं नहीं गत माह उदयपुर संभाग में 125 गांवों में जागरूकता अभियान भी चलाया गया था. 


क्या कहते हैं रोकथाम में लगे अधिकारी
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ध्रुव कुमार कविया ने बताया कि कानून कठोर करने से नहीं लोगों में जागरूकता से ही बाल विवाह की रोकथाम होगी, लेकिन पहले की तुलना में फर्क पड़ा है. स्कूलों में भी इस प्रकार की शिक्षा का प्रचार किया जाता है, ताकि बच्चियों में भी हिम्मत आए. राजस्थान बाल आयोग सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने बताया कि भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में 12,91,700 का बाल विवाह हुआ है. यह पूरे देश के बाल विवाह का 11 प्रतिशत है. अभियान के माध्यम से जिले के 125 गांवों तक विगत 7 दिनों में विभिन्न जन जागरूकता कार्यक्रम के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को बाल विवाह रोकने हेतु संकल्प करवाया गया. पहले से कमी आई है. लगातार गांव-गांव जाकर अपील कर समझा रहे हैं.