Rajsamand News: राजस्थान में हर साल वन विभाग की तरफ से लाखों पौधों का रोपण किया जाता है, लेकिन नतीजा यह निकलता है कि बारिश के बाद पानी नहीं मिलने पर नष्ट हो जाते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. विभाग ने एक ऐसा प्राकृतिक तरीका अपनाया है जिसमें अकेले राजसमंद जिले में इस बारिश में पौधों के पास 32.70 करोड़ लीटर पानी का स्टोरेज किया है. यह योजना है पौधरोपण के साथ ट्रेन्चिंग खुदाई. स्टोरेज पानी से लंबे समय तक जमीन में नमी रहेगी जिससे पौधों को पानी मिल पाएगा. 


इतनी ट्रेंच की खुदाई की
एसीएफ विनोद रॉय ने बताया कि वन विभाग के उप वन संरक्षक वन्यजीव राजसमंद मंडल ने इस साल 828.94 हेक्टेयर वन भूमि पर 2 लाख पौधों का प्लांटेशन किया और उनके पास एक लाख 60 हजार ट्रेंच खुदाई और छोटी तलाई निर्माण करवाया है. जिसमें मानसून सीजन में 32 करोड़ 70 लाख लीटर से अधिक पानी रुका है. इससे सघन वन की परिकल्पना के साथ पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ क्षेत्र में भू-जल स्तर भा बढ़ेगा. जिसे जंगल के साथ वन्यजीवों और क्षेत्र के लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा. 


ट्रेंचों से भूमि में गया पानी
वन विभाग के अनुसार वन मंडल ने एक लाख 99 हजार 334 पौधे लगाए, जिसमें पौधों को लगाने के लिए जो गड्डा बनाया जाता है, उसमें एक बार बारिश होने पर 15 लीटर पानी रुकता है. क्षेत्र में औसत 4 चार मानसून की अच्छी बारिश होने से 2 लाख गड्ड़ों में 30 लाख लीटर पानी का ठहराव हुआ. वहीं 1 लाख 60 हजार मीटर ट्रेंच में 720 लाख लीटर पानी का ठहराव हुआ. इस सीजन में औसत चार बार अच्छी बारिश के चलते सभी गड्ढे और ट्रेंच पानी से भर गई थी. करीब 30 करोड़ 45 लाख लीटर पानी जमीन में गया. वहीं 2 करोड़ 25 लाख लीटर पानी तलाई में गया. 


यह है फायदा
पौधों की बढ़वार से जंगल सघन होगा, वन्यजीवों को सुरक्षित आश्रय मिलेगा, मिट्टी का कटाव रुका, घास से मवेशियों को भोजन मिलेगा, बारिश का पानी बहकर नहीं निकलेगा और वन भूमि पर अतिक्रमण नहीं होगा. 


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