Jodhpur News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) जोधपुर ने की नवाचार की शुरुआत की है. इसके तहत एमबीबीएस में एडमिशन लेते ही प्रत्येक स्टूडेंट को एक-एक परिवार के स्वास्थ्य पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. एम्स के स्टूडेंट्स ने 95 फैमिली गोद लिया है. एमबीबीएस स्टूडेंट्स ने नवजात और उसके परिवार को गोद लिया है. इसके तहत नवजात का पांच साल तक पूरा हेल्थ रिकॉर्ड रखा जाएगा. फैमिली का हेल्थ डेटा भी अपडेट रखा जाएगा. 


स्टूडेंट्स की बढ़ेगी नॉलेज
एम्स में आने वाली प्रेग्नेंट महिला के परिवार की सहमति के बाद फर्स्ट ईयर एमबीबीएस स्टूडेंट्स को उन्हें गोद दिया जाता है. इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए स्टूडेंट्स को एक फैमिली मिलती है. साथ ही एम्स में आने वाले परिवार को एक डॉक्टर मिलता है. इससे स्टूडेंट्स और मरीजों के बीच कम्यूनिकेशन बेहतर होता है. इस पहल से एमबीबीएस स्टूडेंट को शुरुआती एक्सपीरियंस मिलेगा स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई के साथ स्थानीय स्तर पर होने वाली बीमारियों के बारे में जानना शुरू हो जाते हैं. इसके माध्यम से स्टूडेंट्स अपनी नॉलेज को बढ़ा सकेंगे. फैमिली में हेल्थ को लेकर कोई प्रॉब्लम हो तो स्टूडेंट्स के पास पूरी जानकारी होती है. सभी मेंबर्स के नंबर होते हैं.


95 परिवारों को लिया गोद 
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) जोधपुर के डीन एकेडमिक डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि यह एक यूनिक फैमिली एडोप्शन स्कीम है. फरवरी में आए नए एमबीबीएस बैच के साथ मई में यह कार्यक्रम शुरू किया गया है. पहले बैच में करीब 125 स्टूडेंट्स हैं. 95-98 स्टूडेंट्स को एक-एक फैमिली के साथ एसोसिएट किया जा चुका है. इन 95 स्टूडेंट के साथ पीडियाट्रिक से लेकर ईएनटी और सभी बीमारियों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है.


फैमिली के लिए गाइडलाइन
एम्स की ओर से परिवार के लोगों के लिए भी अलग से गाइडलाइन जारी की गई है. इसमें फैमिली को बताया जाता है कि सुबह 8 से शाम 5 बजे के बीच में स्टूडेंट्स को कॉल न करें, क्योंकि उस समय क्लास होती है. फैमिली की ओर से बताई समस्याओं को सुनने व समझने के लिए स्टूडेंट्स को तैयार किया जाता है. इसके साथ ही उन्हें यह बताया जाता है कि वे कैसे डॉक्टर की हेल्प ले सकते हैं, वे कैसे ट्रीटमेंट और अन्य सुविधाओं को लेकर सहायता करेंगे.


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