Rajasthan News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले में राजस्थान राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा एक फैसले में की गई कुछ टिप्पणियों को बिलकुल अनुचित और न्यायिक अनुशासन के खिलाफ करार दिया. हत्या के इस मामले में शीर्ष अदालत ने पूर्व में एक आरोपी की दोषिसिद्धि की पुष्टि की थी. जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस एस आर भट की बेंच ने कहा कि जब आरोपी के वकील को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने पहले ही दोषसिद्धि की पुष्टि कर दी थी तो हाई कोर्ट मामले की जांच या गुण-दोष पर टिप्पणी करने के लिए खुला नहीं था.


वहीं बेंच ने उल्लेख किया कि शीर्ष अदालत ने पूर्व में मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के एक आदेश को दरकिनार कर दिया था और हत्या के मामले में सजा के सवाल पर विचार करने के लिए मामले को हाई कोर्ट भेज दिया था. इसने यह भी कहा कि इसके बाद हाई कोर्ट ने न केवल मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया, बल्कि जांच सहित अपने फैसले में कुछ टिप्पणियां भी कीं.


HC ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदला
शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायिक अनुशासन की आवश्यकता है कि एक बार जब इस अदालत से दोषसिद्धि की पुष्टि हो गई तो हाई कोर्ट को उसके बाद मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, विशेष रूप से तब जब इस अदालत द्वारा केवल सजा पर विचार करने के उद्देश्य से मामले को हाई कोर्ट को भेजा गया था. शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के मई 2022 के फैसले के खिलाफ राज्य द्वारा दायर एक अपील पर आदेश पारित किया, जिसमें मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के हाई कोर्ट के फैसले के बारे में बेंच ने कहा कि उसे इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है.



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