Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर जिले में खनन के खिलाफ चल रहे साधु संतों के आंदोलन में एक साधु विजय दास ने पेट्रोल डालकर खुद को आग के हवाले कर लिया था. वहीं अब उनकी हालत गंभीर हो गई है. राजस्थान सरकार ने संत विजय दास को गंभीर हालत में जयपुर से दिल्ली के लिए रेफर कर दिया था. वहीं अब इस मामले को लेकर सियासत भी तेज हो गई है.


कल भरतपुर आएगी बीजेपी की कमेटी 
वहीं इस मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा तीन सदस्यीय गठित कमेटी इसको लेकर कल भरतपुर आएगी और इस पूरे मामले की जांच करेगी. जिसके बाद बीजेपी आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी. गुरुवार को जिला बीजेपी द्वारा कलेक्ट्रेट के सामने धरना देकर प्रर्दशन भी किया था और राज्यपाल के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया था. 


साधुओं के धरना स्थल पर अतिरिक्त जाब्ता लगाया 
बाबा विजय दास के आत्मदाह की कोशिश करने के बाद साधु की गंभीर हालत को देखते हुए पुलिस अलर्ट हो गई. डीग उपखण्ड के खोह थाना क्षेत्र के गांव पसोपा में धरना स्थल पर भारी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात किया गया है. आज पुलिस ने उस इलाके में फ्लैग मार्च भी निकाला है.


कैबिनेट मंत्री ने की प्रेस वार्ता 
वहीं बाबा विजयदास के आत्मदाह की कोशिश के मामले की गंभीरता को समझते हुए आज कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर कोई भी कानून तोड़ेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही गिरफ्तारी भी होगी.  


अपनी पीसी के दौरान मंत्री विश्वेंद्र सिंह कहा कि आज कुछ लोगों द्वारा माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है. यहां तक कि बीजेपी के कथित नेता ने सोशल पोस्ट डालते हुए लिख दिया है कि बाबा विजय दास की मौत हो चुकी है. अगर कोई माहौल बिगाड़ने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.


'साधुओं की मांग की पूरी'
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने साधु संतों की मांग को पूरा करने के लिए सिर्फ कमेटी बनाई थी लेकिन हमारी कांग्रेस सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करते हुए लागू कर दिया है. साधु संतों की मांग पूरी करते हुए पूरे इलाके को खनन विभाग से फॉरेस्ट विभाग के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है.


कांग्रेस सरकार की बढ़ी टेंशन 
बाबा विजय दास द्वारा आत्मदाह का प्रयास राजस्थान की कांग्रेस सरकार के लिए भी एक चिंता का विषय है, क्योंकि बाबा हरिबोल दास ने पहले से ही आत्मदाह की चेतावनी सरकार को दे दी थी लेकिन सरकार द्वारा समय रहते कोई निर्णय नहीं लिया गया. अगर सरकार समय रहते साधु- संतो से वार्ता कर लेती और उनकी मांग पहले ही मान लेती तो न तो बाबा नारायण दास को टॉवर पर चढ़ना पड़ता और न ही बाबा विजय दास को आत्मदाह का प्रयास करना पड़ता. 


बता दें कि साधु संतों का कहना था की अक्टूबर 2021 में साधुओं की वार्ता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हुई थी और उन्होंने जल्दी ही आदिबद्री और कनकाचल पहाड़ियों को वन क्षेत्र घोषित करने नोटिफिकेशन जारी कर देंगे लेकिन 9 महीने गुजर जाने के बाद भी सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया. अब संत के आत्मदाह करने की कोशिश के बाद सरकार ने तीन दिन में वन क्षेत्र घोषित करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.


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