Bharatpur News: राजस्थान में भले ही बारिश ने इस साल 66 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया हो लेकिन भरतपुर में बरसात न के बराबर हुई है आज भी शहर वासियों को अच्छी बरसात का ईंतजार है. शहर के आसपास के किसानों के साथ-साथ केवलादेव नेशनल पार्क को भी बरसात का इतंजार है.


भरतपुर में किसान बरसात के ही सहारे अपनी खेती करते हैं. भरतपुर का जमीनी पानी खारा होने की वजह से सिंचाई के योग्य पानी नहीं है और बरसात के अलावा किसानों के पास सिंचाई का कोई साधन नही है. कुछ साल पहले भरतपुर मे बाणगंगा ,रूपारेल व गम्भीरी नदी से बरसात का पानी आता था, जिससे आसपास के छोटे बड़े बांध, तालाब पोखर भर जाते थे और किसान सिंचाई कर अपनी फसल को तैयार करता था. किसान सिर्फ बरसात के सहारे ही अपनी फसल को तैयार करता है. 


बारिश का पानी ही एक मात्र सहारा
भरतपुर में बरसात के अलावा सिंचाई का कोई साधन नहीं होने से कई बार किसानों को दो बार अपने खेतों में जुताई और बुवाई करनी पड़ जाती है. जिससे किसान को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि किसान एक बार बरसात होने पर खेतों में जुताई कर फसल बोता है लेकिन समय पर बरसात न होने के कारण किसान की फसल सूख जाती है. किसान को बरसात आने पर दोबारा जुताई ओर बुवाई करनी पड़ती है.


केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भी तरसा
भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भी पानी के संकट से गुजर रहा है. पहले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को बरसात के मौसम में नदियों से भरपूर बानी मिलता था, उस समय  केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में लाखों की संख्या में सैकड़ों प्रजाति के पक्षी आते थे, लेकिन अब नदियों का पानी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को नहीं मिलता है. जिससे बड़े-बड़े पेड़ भी कम हो रहे हैं और पक्षियों की संख्या में भी गिरावट आई है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को सीजन में लगभग 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है. अब केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में ब्रीडिंग के लिए आने वाले पक्षी पानी की कमी के कारण केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के बाहर स्थित जलाशयों पर डेरा डाला है और वहीं पर ब्रीडिंग कर रहे हैं. 


अगस्त में बारिश की आस
जुलाई के महीने में भरतपुर शहर वासियों को बरसात ने निराश किया है. अब भरतपुरवासी अगस्त के महीने में बरसात की आस लगाए बैठे हैं. अगस्त के महीने में इंद्रदेवता मेहरबान हो गए तो बरसात हो जाएगी वरना किसानों को सूखे का सामना करना पड़ेगा. 


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