Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर (Bharatpur) जिले के कामां थाना क्षेत्र (Kaman police station) में 29 दिसंबर को टीले की खुदाई में मिली एक हजार साल पुरानी मूर्तियों (Idols) की पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) ने पहचान कर ली है. इनमें से एक मूर्ति लकुलीश भगवान (Lord Lakulish) और दूसरी शिवलिंग (Shivling) बताई गई है.


जेसीबी से खुदाई के दौरान मिली मूर्तियां


बताया जा रहा है कि ये मूर्तियां लगभग 1 हजार साल पुरानी है. ये मूर्तियां कस्बे के विमल कुंड स्थित चामड़ माता के मंदिर के पास एक टीले की खुदाई के दौरान मिली थीं. विमल कुंड स्थित चामड़ माता के मंदिर के पास खाली जमीन पड़ी थी जिसमें एक मिट्टी का टीला बना हुआ था. मजदूर जेसीबी के माध्यम से टीले को समतल कर रहे थे तभी खुदाई के दौरान ये मूर्तियां मिलीं.


इसके बाद मूर्तियां मिलने की सूचना पुलिस को दी गई. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने मूर्तियों को चामड़ माता के मंदिर में रखवाया और मूर्तियों की सूचना पुरातत्व विभाग को भी दी गई. पुरातत्व विभाग के अनुसार यह मूर्तियां करीब 1 हजार साल पुरानी हैं. एक मूर्ति लकुलीश भगवान की है. लकुलीश भगवान को भगवान शिव शंकर का 24वां अवतार बताया गया है और दूसरी मूर्ति शिवलिंग है. इन्होंने पाशुपत शैव धर्म की स्थापना की थी.


ऐसी मान्यता है कि दूसरी सदी में बड़ौदा के दभोई जिले के कायावरोहन गांव में भगवान लकुलीश प्रकट हुए थे. इनके नाम से एक संप्रदाय भी चला. लकुलीश भगवान की एक भुजा में लकुट और दूसरी भुजा में मातुलिंग फल अंकित होता है. भारत में भगवान लकुलीश के मंदिरों का इतिहास मिलता है. इन प्रतिमाओं का निर्माण सातवीं सदी में हुआ था. शिव मंदिरों में लकुलीश देवता के रूप में पूजे जाते थे.


क्या कहा पुजारी ने 
मूर्तियों को लेकर चामड़ माता मंदिर के पुजारी ने बताया शिवलिंग के साथ ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश की भी मूर्तियां हैं. मूर्तियां काफी प्राचीन हैं और ये जेसीबी से खुदाई के दौरान निकली हैं. वहीं चामड़ माता के मंदिर को लेकर पुजारी ने कहा कि यह मंदिर 500 वर्ष पुराना है. ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा में इसका महत्व सुनाया जाता है और कामवन में इसकी पूजा की जाती है. 


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